कविता

फिर ये नजर हो न हो

फिर ये नजर हो न हो ,
मै और मेरी तनहाई ,
नजर आएगी ,
तुम तेरा मुस्कुराता ,
चेहरा यू खिलखिलाता ,
नाम तेरा पूजते रहूं ,
फिर ये नजर हो न हो !
जिंदगी की खेल में ,
फूलों के मेल में ,
कलियों के साथ ,
गुलाबो के हाथ ,
तू मुझे सम्मान दो ,
या मुझे उफान दो ,
मै मिलेगा फिर तुमसे ,
फिर ये नजर हो न हो !
रात की बात में ,
दिन की याद में ,
दोस्तो के साथ में ,
हसीनाओं के हाथ में ,
आंख की आशुओ में ,
दिल की धड़कन में ,
याद आ जाए तुम ,
फिर ये नजर हो न हो !
— रूपेश कुमार

रूपेश कुमार

भौतिक विज्ञान छात्र एव युवा साहित्यकार जन्म - 10/05/1991 शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर),बी.एड(फिजिकल साइंस) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! प्रकाशित पुस्तक ~ *"मेरी कलम रो रही है", "कैसें बताऊँ तुझे", "मेरा भी आसमान नीला होगा", "मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ" *(एकल संग्रह) एव अनेकों साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे ! विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ मे सैकड़ो से अधिक कविता,कहानी,गजल प्रकाशित ! राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से सैकड़ो से अधिक सम्मान प्राप्त ! सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य) पता ~ ग्राम ~ चैनपुर  पोस्ट -चैनपुर, जिला - सीवान  पिन - 841203 (बिहार) What apps ~ 9934963293 E-mail - - rupeshkumar01991@gmail.com