लघुकथा

प्याज

”जब दूल्हा-दुल्हन ने एक-दूसरे को पहनाई प्याज की वरमाला” समाचार पढ़कर बगिया के फूल अपनी अवहेलना होते देख मायूस होने लग गए.

”प्याज, तुम लोगों को आंसू-आंसू क्यों कर रहे हो?” मानव ने पूछा.

”अरे भाई, आपको मुहावरे बोलने का इतना ही शौक है, तो ठीक-ठीक तो बोलो ना! ‘आंसू-आंसू क्यों कर रहे हो?’ की बजाय ‘पानी-पानी क्यों कर रहे हो?’ बोलो.”

”किसी और के लिए कहना होता, तो यही कहता, पर तुम तो हो ही ‘आंसू-आंसू करने वाले?’ प्याज काटने वालों को तो तुम्हारी व्यथा देने की आदत का पता ही है, तुम तो सरकार को गिराकर पूरे राज्य-देश को व्यथित कर देते हो और आजकल तो तुम्हारे दाम ही इतने बढ़ गए हैं, कि पूरा देश आंसू-आंसू रो रहा है.” मानव बोला.

”मैं तो अपने काटने वाले को पानी के आंसू रुलाता हूं, तुम तो अपने पालने वालों को भी खून के आंसू रुलाते हो. तुम्हारे जैसा कृतघ्न भला और कौन प्राणी हो सकता है! फिर मैं एक दल की सरकार गिराता हूं, तो दूसरे के भाग्य जगा भी तो देता हूं, इस पर भी तो तनिक ध्यान दो न!”

”पर कभी-कभी तुम्हारे दाम इतने बढ़ते ही क्यों हैं?”

”इसके जिम्मेदार तुम मानव लोग ही हो.”

”वो कैसे?”

”एक तो पर्यावरण को प्रदूषित करके तुमने ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा दी है और मौसम को असंतुलित और अविश्वसनीय होने पर मजबूर कर दिया है, दूसरे—”

”बोलते जाओ, बोलते जाओ.” क्रोध के मारे मानव को अपनी कमियां सुनना भला कब गंवारा होता! ”हां, दूसरे क्या?”

”दूसरे तुम लोग प्याज के पीछे ही पड़ जाते हो. कुछ लोग प्याज-लहसुन खाते ही नहीं, उनसे सीखो न बिना प्याज-लहसुन वाली सब्जी बनाना. वैसे ही कभी-कभी खाके देख लिया करो, कितनी स्वादिष्ट बनती है!”

”तुम तो राजनीतिज्ञों वाली भाषा बोलने लगे?” प्याज की उपदेशात्मक बात सुनकर मानव उबल पड़ा था.

”अब तो तुम्हें मेरी बात भी सुननी पड़ेगी और राजनीतिज्ञों की भी! जब प्याज होगा ही नहीं, तो राजनीतिज्ञ कहां से लाकर देंगे. फिर तुम लोगों की लालच भी तो खत्म नहीं होने पाती न! घर में किसी अभाव का सब मिलकर मुकाबला करते हो, देश का साथ क्यों नहीं देते?”

”अभी भी गुबार है तुम्हारे अंदर?” मानव कहां चुप रहने वाला था.

”अपना व्यवहार देखो. तुम लोग गोदाम भरके रखते हो, चोरबाजारी करते हो, इसलिए प्याज की किल्लत होती है और तब तुम अपने गोदाम का मुंह धन से भरते हो. तुम्हारे लोभ-लालच की कोई हद नहीं है. जरा अखबार की सुर्खियां तो देखो-

1.मध्य प्रदेश: खेत से फसल खोदकर 30 हजार रुपये के प्याज चुराकर ले गए चोर

2.गुजरात: कागज के नीचे छिपाया, फिर भी दुकान से चोरी 250 किलो प्याज

3.दुकान से लहसुन-प्याज ले उड़े चोर, कैश को हाथ तक नहीं लगाया

4.बिहार: गोदाम से 325 बोरी प्याज चोरी, कीमत 8 लाख रुपये

5.नासिक-शिवपुरी के बीच गायब 20 लाख रुपये के प्याज से लदा ट्रक

इतने लोभ-लालच के आगे मैं अदना-सा प्याज कहां तक टिक पाऊंगा?”

”तुम और अदना-से! तुम्हारे जितना तो कोई शक्तिशाली ही नहीं है.” मानव का क्रोध फिर उजागर हुआ. ”तुम कितने शक्तिशाली हो गए हो? तुम्हें पाने के लिए लोग वाराणसी में आधार कार्ड गिरवी रखकर लोन पर प्याज ले रहे हैं. कहीं पर अभिभावकों को सोने के गहने गिरवी रखकर प्याज लेना पड़ रहा है.”

”अरे तुम्हारा बस चले तो तुम अपने बच्चे भी गिरवी रखकर प्याज लो.” मानव को शर्म से पानी-पानी होना चाहिए था, पर हुआ नहीं. वह तो प्याज को छोड़कर सरकार को कोसने पर आमादा था.

”अरे प्याज और सरकार को कोसना छोड़कर कुछ नया सीखो.” समाचार पत्र की खबर ‘प्याज की जगह मेवे से बन रही सब्जी की ग्रेवी, फिर भी कोई घाटा नहीं मुनाफा हो रहा’ दिखाकर प्याज बोला. ”साथ में यह खबर भी देख लो- ‘प्याज ने कर्ज में डूबे किसान को यूं बनाया करोड़पति!’ अब बोलो क्या बोलते हो?”

मानव के पास प्याज के नए-नए विकल्प ढूंढकर काम चलाने और चुप रहने के सिवा कोई चारा नहीं था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “प्याज

  • लीला तिवानी

    प्याज ने कर्ज में डूबे किसान को यूं बनाया करोड़पति!

    जब प्याज ग्राहकों को रुला रहा है और कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं, कर्नाटक का एक किसान इसी के जरिए करोड़पति बन गया है। जी हां, चित्रदुर्ग जिले के डोड्डासिद्वावनहल्ली निवासी मल्लिकार्जुन की किस्मत ने अचानक करवट ली। प्याज की कीमतें बढ़ीं और एक महीने के भीतर कर्ज में डूबे मल्लिकार्जुन करोड़पति बन गए। इतना ही नहीं, आसपास के किसानों के लिए मल्लिकार्जुन अब आदर्श बन गए हैं और लोग उनसे खेती के गुर सीखने के लिए आने लगे हैं।

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