कविता

उजालों को बांचे

अंधेरो को नही उजालों को बांचे
आनन्दित रहने के लिए स्वम को वचन दे
उन व्यवहारों,उन व्यक्तियों ,
उन बस्तुओ को चुने
जो हमे आनन्द की मंजिल तक ले जाये
उन भावनाओं और रिस्तों को
ईमानदारी से सँजोये
क्योकि हमारा आनन्द इन पर निर्भरहै
कृतज्ञता से भर जाए
आभार माने,मुस्कुराये
ये भाव हमे कटुता और उदासी से
मित्रता और खुशी की
राह पर ले आता है
तमस से ज्योति की ओर
गमन की कामना करें
आखिर आदि ग्रन्थो से आती
तमसोमा ज्योतिर्गमय कि पुकार
उत्सव धर्मिता की ओर
बढाया गया जीवन का
पहला कदम है।
अनुभव जुटाए सामान नहीं
ये आपको जीवित
होने का भाव देगे1
विश्वास। रखे नैतिकता अपनाये
इससे शरीर मे आक्सीजन
का स्तर बढ़ता है
तो क्यो न अपने सन्देहों को
विज्ञान की कझाओ के लिए छोड़ दे।।

— हेमा पांडे