लघुकथा

‘नमस्ते’ (लघुकथा)

”आवाज दो हमको, हम खो गए, कब नींद से जागे कब सो गए,
मर जाएंगे हम जो, तुम दूर हमसे हो गए!”

सचमुच भारतीय अंदाज में अभिवादन करना यानी ‘नमस्ते’ करना हमसे दूर हो रहा था. ‘नमस्ते’ का विकल्प हमें पुरातनपंथी लग रहा था. हम हाथ मिलाने कों ही आधुनिकता समझने लगे थे.

तभी आया कोरोना वायरस का संकट.

चीन से शुरू हुए कोरोना ने अब विश्व भर कों लपेटे मेँ ले लिया है.

हाथ मिलाने से कोरोना वायरस का संकट बढ़ने का खतरा है.

कोरोना से बचने को दुनियाभर के देश अलग-अलग उपाय अपना रहे हैं.

कोरोना वायरस के डर से ‘कैशलेस’ हो रहे हैं लोग.

डोनाल्ड ट्रंप पर चढ़ा कोरोना का खौफ, हफ्तों से नहीं छुआ अपना चेहरा!

लोग ड्राइवर सीट पर प्लास्टिक का टेंट लगाकर कार ड्राइव कर रहे हैँ.

चीन मेँ कारों कों रोककर लोगों की कोरोना की जांच की जा रही है.

 

केरल ने कोरोना को फैलने से कैसे रोका?
1. सड़क पर उतरकर लोगों को किया जा रहा जागरूक
2. एयपपोर्ट को अस्पतालों से जोड़ा गया
3.हेल्पलाइन नंबर से लोगों की मदद
4.स्वच्छता पर जोर, मास्क और सैनिटाइजर की बढ़ी बिक्री
5.काउंसलिंग के जरिए दूर किया जा रहा लोगों का डर
6.विदेश से आने वाले लोगों से नहीं लिया जा रहा ब्लड
7.सड़क मार्ग से आने वाले यात्रियों की जांच

इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए देशवासियों से कहा, ”कोरोना से बचना है तो करें ‘नमस्ते’. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने दोनों हाथों को जोड़कर लोगों को बताया भी कि लोगों से मिलकर भारतीय किस तरह से नमस्ते करते हैं.”

अपनी भारतीय संस्कृति को जीवंत रखने के लिए और कोरोना से बचने के लिए हम भारतवासी क्या कर रहे हैँ , कामेंट्स मेँ हम-आप बताएंगे, तब तक के लिए दोनों हाथों को जोड़कर ‘नमस्ते’ .🙏

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “‘नमस्ते’ (लघुकथा)

  • लीला तिवानी

    हाथ जोड़कर नमस्कार करने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी माना जाता है। इससे हृदयचक्र और आज्ञाचक्र सक्रिय होता है और शरीर में सकारात्मक उर्जा का तेजी से संचार होता है जो मानसिक शांति मिलती है और आत्मबल प्राप्त होता है। इससे क्रोध पर नियंत्रण बढ़ता है और स्वभाव में विनम्रता आती है। इसलिए हाय-हेलो की बजाय नमस्कार को हर तरह से फायदेमंद बताया गया है.

  • लीला तिवानी

    हम जब ऑस्ट्रेलियन में बच्चों के पास होते हैं, सबसे दोनों हाथों को जोड़कर ‘नमस्ते’ कहते हैं. हमारे सभी मिलने वाले भी ‘नमस्ते’ बोलना और करना सीख गए हैं, भले ही वे ऑस्ट्रेलियन हों चीनी या जापानी. हम उन्हें बताते हैं, कि हमारे भारत में अभिवादन का यही तरीका है. भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने का कोई अवसर हम नहीं छोड़ते. हिंदी स्कूलों में जाकर अध्यापिकाओं की सहायता भी करते हैं. ऑस्ट्रेलियन बच्चे हिंदी बोलने-सीखने में बहुत रुचि लेते हैं. हमने अपने बच्चों के बच्चों को भी अच्छी तरह हिंदी बोलनी सिखा दी है. हमारा डॉक्टर दोहता भारतीय लोगों से हिंदी मेंही हालचाल लेता है. ‘नमस्ते’.

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