लघुकथा

एक अकेली इस शहर में!

”एक अकेला इस शहर में, रात में और दोपहर में
आब-ओ-दाना ढूँढता है, आशियाना ढूँढता है.”

इधर टी.व्ही. पर अंग्रेजी सब टाइटिल के साथ यह गाना चल रहा था, उधर एल्सी आइलर अपने आप से बात कर रही थी-
”मैं हूं एक अकेली इस शहर में, पर न तो मुझे दाना ढूंढने जाना पड़ता है, न आब. दाना मोबाइल से ऑर्डर पर आ जाता है और आब तो 24 घंटे आता ही रहता है.”

”आप और शहर में अकेली! कैसे भला? कुछ बताइए न अपने बारे में!” एक महिला पर्यटक ने बार में ड्रिंक का लुत्फ़ उठाते हुए पूछा.

”मेरी मां नब्रैस्का की रहने वाली थी और मेरे पिता जर्मनी से प्रवास करके आए थे. 19 साल की उम्र में मेरी शादी रूडी से हुई थी. कुछ समय तक हम दोनों अमेरिका के ओमाहा शहर में रहे. उसके बाद हम यहां मोनोवी आ गए और 1975 में हमने यह बार खोला.”

”तब भी आप इस शहर में अकेले थे?”

”तब की तो बात ही अलग थी. करीब 54 हेक्टेयर में फैला अमेरिका का यह शहर मोनोवी कभी गुलजार हुआ करता था. एक समय था जब यहां मवेशी उद्योग फल-फूल रहा था. सेंट्रल रेलवे सिस्टम से जुड़े इस शहर में वर्ष 1930 तक 150 लोग रहते थे. वर्ष 1980 आते-आते यहां की आबादी घटकर सिर्फ 18 लोगों तक सीमित रह गई. शहर के वीरान होने का कारण लोगों का रोजगार की तलाश में इलाका छोड़ देना था. बेहतर भविष्य के लिए लोग दूसरे शहरों में बसते चले गए.”

”अब तक तो रोजगार की तलाश में गांव से पलायन की बात सुनी थी, आप तो शहर से पलायन की बात कर रही हैं!”

”2000 की जनगणना में यहां सिर्फ हम बुजुर्ग दंपत्ति ही रह गए थे. 2004 में रूडी की मौत के बाद मैं ही इस शहर की अकेली बाशिंदा रह गई हूं.”

”आपको अकेलापन लगता होगा?”

”अकेलापन कैसा? मैंने अपने पति की मौत के बाद उनकी याद में वहां एक लाइब्रेरी भी खोली है. मैं ही शहर की मेयर, बारटेंडर, लाइब्रेरियन सब कुछ हूं. बार और लाइब्रेरी में लोग आते-जाते रहते हैं, अकेलापन लगता ही नहीं. फिर जब आप इस तरह के इलाके में रहते हैं तो आपसे 20 से 40 मील दूर रहने वाले लोग ही आपके पड़ोसी बन जाते हैं. हमारे शहर में म्युनिसिपलटी की सर्विसेज मुहैया नहीं है, जब बर्फबारी होती है तो एक स्थानीय किसान आकर मेरे पार्किंग स्थल और मुख्य गली की सफाई कर जाता है. बार में मेरे अलावा कोई और स्टाफ नहीं है. कई बार यहां आने वाले लोग ही मेरी मदद कर देते हैं.”

”आज से मैं भी आपकी पेन फ्रैंड बन गई हूं. जल्दी-जल्दी आया करूंगी और आपको फोन भी किया करूंगी, ताकि आपको फिर न कहना पड़े- एक अकेली इस शहर में!”

एल्सी उस पर्यटक को जाते और दूसरे पर्यटक को आते हुए देखती रही.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “एक अकेली इस शहर में!

  • लीला तिवानी

    अकेलापन एक ऐसी भावना है जिसमें लोग बहुत तीव्रता से खालीपन और एकान्त का अनुभव करते हैं। और अजीब ख़याल आते है जैसे – आत्महत्या, शादी न करना, किसी भी तरह की ख़ुशी न बनाना और सादगी जीवन को अपनाने को सोचते हैं धीरे धीरे डिप्रेशन में चले जाते हैं ।

    अकेलेपन की तुलना अक्सर खाली, अवांछित और महत्वहीन महसूस करने से की जाती है। अकेले व्यक्ति को मजबूत पारस्परिक संबंध बनाने में कठिनाई होती है।

    “अकेला” शब्द का पहले पहल दर्ज उपयोग विलियम शेक्सपियर की कॉरिओलेनस में मिलता है, डिप्रेशन का उपचार माँ की दुआ एक्यूप्रेशर-एक्यूपंचर एंड योगा सेंटर में लिया जा सकता है ।
    अपने में ही मस्त रहने वाली एल्सी आइलर ने अकेलेपन का कितना शानदार उपचार ढूंढ लिया था!

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