कविता

बिम्ब प्रतिबिंब

मैं ही मूर्तिकार
मैं ही मूर्ति हूं
अपने ही छेनी हथौड़े से
ढाल रहा अपनी ही मूरत
अपनी ही कल्पना को
दे रहा हूं मैं मूर्तिरूप
अच्छी ढली या बुरी ढली
इसमें किसी का दोष नहीं
खुद मैंने अपने विचारों से इसे प्रतिबिंब किया
मैं ही खुद निर्माता हूं
बनाई अपनी मूर्ति का
मैं ही रचना
मैं ही रचनाकार हूं
मैं ही बिम्ब
मैं ही प्रतिबिंब हूं

  1. ब्रजेश

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020