कविता

कोरोना संकट के काल मे

नीर को धीर कहाँ, चीर संग चाहिए,
मन भी अधीर यहाँ, ज्ञानी संग चाहिए|
जीवन की नैया, बीच मझधार है,
किसी खिवैया का, संग साथ चाहिए|

संतोष का जाप कर, अधीरता मिटाइए,
अहंकार दूर भगा, विनम्रता अपनाइये|
राम नाम सबसे बड़ा, उसी को गाइये,
सारे संकटों को छोड़, पार उतर जाइये|

कोरोना का संकट, देश पर भारी है,
पिडित यहाँ चारों ओर, नर और नारी है|
दूरियाँ का ख्याल रख, मास्क अपनाईये,
महामारी का नाश कर, खुद को बचाईये|

— डॉ अ कीर्तिवर्धन