कविता

मेरे बादल

आकाश मे जाते बादल

जमीन पर गर्म हवाओं

धूल भरी आँधियों के संग

उड़ रहे

सूखे कंठ लिए

हर कोई निहार रहा

पेड़ मानों कह रहे हो

थोड़ा विश्राम करलो

हमारे गाँव में भी

सूखे कुएँ,सूखी नदियाँ से भी

अब तो गीत नही गाया जा रहा

धूप तेज होने से

बेचारे पत्थरों को

चढ़ रहा बुखार

मेहंदी बिन त्योहारों के

अचानकआ धमकी

पगथली औऱ हाथो में

कच्ची केरिया दे रही आहुति

तपन के इस लू के खेल में

सड़के हुई वीरान

वृक्ष बुला रहे राहगीरों को

और उस पर रहने वाले रहवासियों को

वृक्ष के पत्ते

बादलों से मानों कह रहे हो

जरा जल्दी आना

बस, तुम जरा जल्दी आना

ताकि मैं तुम्हें ही

गंगाजल मान कर

तुम्हारे शुद्ध जल से तृप्त हो

जीवित रह सकूँ

जल्दी आओगें ना

मेरे सखा बादल।

— संजय वर्मा ‘दॄष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच