कविता

जिंदगी सड़कों पर 

जिंदगी सड़कों पर ,
लाचार बैठी है।
अपने घर और काम से ,
बेजार बैठी है ।
कोरोना क्या….. मारेगा ।
इन जिंदगियों को,
 जो जिंदगीयां,
 जिंदगी से लड़ने को ,
तैयार बैठी हैं ।
जिंदगी सड़कों पर ,
लाचार बैठी है।
 घर -काम से,
 निकाल दिया इनको,
गाड़ी -बसों के लिए,
अपने घर तक जाने को ,
लाचार बैठी हैं।
 सरकारें कहती है ।
मिलेगा खाना।
 जिंदगी बदहालीयों में भी,
मुस्कुरा कर जिंदगी के साथ बैठी है ।
— प्रीति शर्मा “असीम “

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- [email protected]