लघुकथा

लेखनी

लघुकथा मंच के संदर्भ में ‘संदेश (लघुकथा)’ पर गुरमैल भाई द्वारा लिखी प्रतिक्रिया का अभी-अभी हमने जवाब दिया-

”एक लेखक की मनगढ़ंत कहानी भी इतनी प्रभावशाली हो सकती है, इसकी आप साक्षात-जीवंत मिसाल हैं. आपकी सशक्त लेखनी को हमारा हार्दिक नमन.”

असल में गुरमैल भाई की अर्धांगिनी साहिबा अपने आर्थराइटस के दर्द के बारे में बात कर रही थीं. कभी-कभी दर्द के हद से गुजर जाने पर उसका जिक्र करना स्वाभाविक ही हो जाता है. गुरमैल भाई ठहरे महान साहित्यकार, ऊपर से उच्चकोटि के मनोवैज्ञानिक! दर्द को उसी समय बेअसर बना देने के लिए उन्होंने एक मनगढ़ंत कहानी का सहारा लिया-

”अर्धांगिनी साहिबा सुनो. बहुत सालों बाद दिल्ली रहने वाली एक महिला को अपनी पुरानी सखी का मुम्बई से टेलीफोन आया. कुछ मिनट बातें करने के बाद दिल्ली वाली अपने दुःखड़े रोने लगी कि नौकरानी आती नहीं, मुझे घर का सारा काम करना पड़ता है. मुझे हाई ब्लड प्रेशर है, कोई मदद नहीं करता, क्या करूँ? बड़ी परेशान हूं!”

”मुझे भी बहुत-सी शारीरिक तकलीफें थीं, लेकिन मैंने काम नहीं छोड़ा. मेरी तो बस एक ही सोच है कि पड़ोस में नकारात्मक सोच के कारण दो लोगों की कोरोना से जानें जा चुकी हैं, इसलिए मैंने तो और भी जोर-शोर से काम करना शुरू कर दिया है. बहन तू नौकरानी को भूलकर बस यही सोच कि शुक्र है तू जीवित है.” मुम्बई वाली ने दिल्ली वाली महिला की समस्या हल करते हुए कहा.

”इसका मतलब मैं भी आर्थराइटस के दर्द को भूलकर सुकून पा सकती हूं!” गुरमैल भाई की अर्धांगिनी साहिबा कुलवंत जी ने परिणाम निकालते हुए कहा.

”यही सच है. सकारात्मक सोच ही जादू का चिराग है. गुरमैल जी को ही देख लो न! निओरोलौजिस्ट ने इनको जीने को तीन साल दिए थे न! अपनी सकारात्मक सोच, आत्मबल और ज्ञानयोग के अनुष्ठान की बदौलत अब पंद्रह साल हो चुके हैं, वे अभी भी हौसले से जीने की तमन्ना रखे हुए साहस से खुद को भी संभाले हुए हैं और आपको भी.” गुरमैल भाई की लेखनी ने कहा.

”कदम चूम लेती है चलकर के मंजिल,
अगर आदमी अपनी हिम्मत न हारे.”

कुलवंत जी ने गुरमैल भाई की लेखनी को पुचकारते हुए अपनी सकारात्मक सोच को सहलाया. आर्थराइटस दर्द कहीं पीछे छूट गया था.

संदेश (लघुकथा) का लिंक

https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/sandesh-laghukatha-2/

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “लेखनी

  • लीला तिवानी

    सकारात्मक सोच, हटाए मोच

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