कविता

मजदूर की मंजिल

पत्थर तोड़ कर सड़क बनाता है मजदूर
फिर उसी सड़क पर चलते हुए उसके पैरों पर पड़ जाते हैं छाले
वोट देकर सरकार बनाता है मजदूर
लेकिन वही सरकार छिन लेती है उनके निवाले
कारखानों में  लोहा पिघलाता है मजदूर
फिर खुद लगता है गलने – पिघलने
रोटी के  लिए घर द्वार छोड़ देता है मजदूर
लेकिन आड़े वक्त में  वहीं लगता है पुकारने
— तारकेश कुमार ओझा 

*तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं। तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) पिन : 721301 जिला पश्चिम मेदिनीपुर संपर्क : 09434453934 , 9635221463