स्वामी श्रद्धानंद
ध्यातव्य है, सैनिको को पत्थर मार-मार कर उनकी जान लेने वाले कुख्यात पत्थरबाजों को मासूम बच्चे बोलने की प्रथा, हाथों में बंदूकें लेकर गोलियां बरसाते हुए निर्दोषों की जान लेने वाले दुर्दांत आतंकियों के लिए खुल कर दया मांगने की परंपरा नई चली है, तो आप यकीनन गलत हैं ! ये बहुत पुरानी परंपरा है, जिनकी आज के समय के लोग महज निर्वहन कर रहे हैं !
कभी धर्मरक्षक व धर्मजागृति के लिए पूरे भारत में सबसे आगे रहे स्वामी श्रद्धानंद जी के हत्यारे के साथ जो रहम अपनाया गया था, आज कमोबेश उसी परंपरा का निर्वहन करते तमाम उसी मानसिकता के लोग दिख जाएंगे ! बावजूद कानून ने अक्सर अपना काम किया, लेकिन उन घटनाओं ने कई चेहरे को उजागर कर डाले हैं !
ज्ञातव्य है, भगवा वस्त्र की महिमा को सार्थक करनेवाले व अनगिनत भूले-भटकों को सत्य की राह दिखानेवाले स्वामी श्रद्धानंद जी को तथाकथित अल्पसंख्यक अब्दुल रशीद जैसे एक उन्मादी ने स्वामी जी के धर्म-कार्यो से द्वेष रखते हुए उनकी हत्या कर डाली। महात्मा गाँधी की हत्या एक उन्मादी हिन्दू ‘नाथूराम गोडसे’ ने 30 जनवरी 1948 को की थी । राजनेता असदुद्दीन ओवैसी, फ़िल्म अभिनेता कमल हासन जैसे लोग गोडसे को पहला हिन्दू आतंकवादी बता रहे हैं, तो क्या गाँधी जी की हत्या के 22 वर्ष पहले 1926 को अब्दुल रशीद ने जिस कदरन स्वामी श्रद्धानंद की हत्या किए, तो क्या उनकी कुकृत्य पहला मुस्लिम आतंकवादी के रूप अभिहित रहा ?
…. और जब दोनों ही स्थितियों में हिन्दू की ही हत्या हुई।
महात्मा गाँधी की हत्या से 22 साल पहले स्वामी श्रद्धानंद की हुई थी हत्या ! घटना को अंज़ाम देकर लोग कथित धर्मनिरपेक्षता तले ‘राजनीतिक फ़ायदे’ के विन्यस्त: दो पक्षों को लड़ा रहे हैं ! कमल हासन एक गम्भीर अभिनेता हैं, बावजूद उनके विचार सस्ती लोकप्रियता लिए है ! कहा जाता है, स्वामी श्रद्धानंद डॉ. अंबेडकर के आध्यात्मिक गुरु थे!