गीतिका/ग़ज़ल

मौत का है पयाम तम्बाकू

अन्तर्राष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस (31 मई) पर
मौत  का  है  पयाम  तम्बाकू।
खा रहे  जन  तमाम  तम्बाकू।
माल  सेहत  खराब  करती है,
हर बिगाड़े  निज़ाम  तम्बाकू।
मारती दस हज़ार ये  हर दिन,
इकहवादिस कानाम तम्बाकू।
ख़्वाबपहले हसीन दिखलाती,
फिर  बनाती  गुलाम तम्बाकू।
पीरहेलोग इसको हँसहँसकर,
मौत का  एक  जाम तम्बाकू।
फेफड़े  खोखले   हुये   जाते,
फिर भी पीते तमाम तम्बाकू।
सारे  माहिर  तबीब  कहते हैं,
आदमी  को   हराम  तम्बाकू।
फिर मुसलमान क्योंइसे खाते,
दीन  में  जब  हराम  तम्बाकू।
फिरभला खारहे हैं हिन्दू क्यों,
जब न खाते थे राम  तम्बाकू।
रोकता क्यों नहीं इसे सिस्टम,
हो  रही   बे लगाम   तम्बाकू।
हो  सके  तो  हमीद  दूर  रहो,
रोग  लाता  तमाम   तम्बाकू।
— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - ahidrisi1005@gmail.com मो. 9795772415