कविता

ज्ञानी शम्बूक

कोई गिनती नहीं,पशु में अश्व की,अश्व असत्य में सत्य है,
सृष्टि काल-ग्रास में, पृथ्वी पर जीवन, सबके सब मर्त्य है ।
रथ  में  जुते  जहाँ  अश्व  है, कि सारथिहीन मन चंचल है,
राजप्रासाद  की  बात  विदाकर, वन  में ग्राम – अंचल है ।
अश्वारोही   चमत्कृत,   पामर – मन   जब  वश   में   हो ,
हस्ती  औ’  वनकेशरी – शक्ति, कि अश्व  जब वश  में हो ।
शांति – अश्म  में  रस्म  देकर, अश्वमन  जीता  जाता  है ,
शान्ति-द्वार  से  स्वर्गद्वार  होकर, हरिद्वार खुल जाता है ।
रूप  अश्व है, गंधहीन  भी, ज्ञानहीन  भी  हो  सकता  है ,
चक्रवर्ती   बननेवाले   अश्व ,  दूसरे   का   उपभोक्ता  है ।
मत्स्य,  कच्छप,  शूकर  और  पशु-ढंग नरसिंहावतार है ,
पशु   है  निश्चित  ही   महान,  ज्ञान – रुपी  दशावतार  है।
विशाल   अश्व   हूँह  !  अश्व  –  पीठ   पर   चाबुक   पड़े ,
वेदाध्ययन   करते –  करते  ,  कि    ज्ञानी   शम्बूक   मरे ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.