चिह्नित विधानसभा क्षेत्रों का निर्धारण
तब हमें विधायक-उम्मीदवारी हेतु ‘आयात’ नहीं करने पड़ेंगे ! किन्तु तब हमें भय होगा कि अपार जनमत कहीं उन्हें ‘डिक्टेटर’ नहीं बना दे! क्योंकि लोकतंत्र में सत्ता अगर अल्पसंख्यक (जातिगत) के पास रहती है, तो यह ज्यादा ही संतुलित रहती है । निषाद वर्ग में कई जातियाँ हैं, जो मनिहारी विधान सभा क्षेत्र में बहुसंख्यक स्थिति में है।
ध्यातव्य है, जब यह क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए सुरक्षित हुआ था, तब शायद अमदाबाद प्रखंड, मनसाही प्रखंड और मनिहारी प्रखंड के ‘किसान’ (चसौर) जाति को ST रूप में शामिल की गई थी । दरअसल, इस क्षेत्र के अमदाबाद प्रखंड में यह जाति बहुसंख्या में हैं, किन्तु वे ‘सामान्य वर्ग’ में आते हैं और किसी प्रकार की जाति प्रमाण-पत्र भी उन्हें प्राप्त नहीं है! ऐसे में सरकार की पहल सर्वप्रथम ‘किसान’ व चसौर जाति को ‘जनजाति’ (ST) में बदलने की पहल होनी चाहिए थी। समय अब भी चुका नहीं है!