लघुकथा

अ-दिलचस्प विचार

मुझे किसी के भी फालतू बातों में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं रहती थी । यह नहीं था कि मैं साधु था या कोई आडम्बरयुक्त व पाखंडी विचारों को गृह किये था, अपितु मेरे किस्से तो साफ़गोई का पेस्ट चस्पाये था। यह भी नहीं था कि मैं ‘यौन’ शब्द से अनभिज्ञ था, किंतु कुत्ते-कुत्ती, बकरे-बकरी, घोड़े-घोड़ी, साँड़-गायें, सूअर-सुअरी तक ही सीमित मानता था । पौरुषेय और नारीत्व के दर्शनों में ये यौन शब्द कहाँ से आ जाते हैं ! शायद अंदर की संवेदना इसकी इजाजत भी नहीं देता था…. पीजी में मुझे गोल्ड मेडल मिला और पिताजी के पत्र भी उसी दिन प्राप्त हुए कि अब competition की तैयारी करो, मैं रिटायरमेंट होनेवाला हूँ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.