कविता

आराधना

हर बार की तेरी यह रट
मुझे तुझसे प्यार है
मैं तुमसे बेपनाह
मोहब्बत करता हूं
एक पल नहीं रह सकता
तुम्हारे बिना
तेरे लिए प्यार क्या है
क्या मेरा रूप
मेरा लावण्य
या कुछ और
अगर मेरा यह रूप लावण्य न रहे
तो क्या तू फिर भी
यही कहेगा
मैं तुझसे बेपनाह
मोहब्बत करता हूं
शायद नहीं
क्योंकि तेरा प्यार
प्यार नहीं एक वासना है
तू मुझसे नहीं
मेरे जिस्म से प्यार करता है
जो सच में मोहब्बत करते हैं
वो इजहार नहीं
आराधना करते हैं
*ब्रजेश*

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020