बाल कविता

माँ मुझे भी स्कूल जाना है

 माँ मुझे भी स्कूल जाना है ,
मुझे भी भैया साथ स्कूल जाना है,
नये नये दोस्तो से मिलना है, अपनी सारी बाते बतानी है,
माँ मुझे भी स्कूल जाना है।।
मुझे भी माँ स्कूल मे अच्छी अच्छी बाते सीखनी है,
तुमसे जो वो दुधवाला ज्यादा पैसे लेता है
उसको भी अब सही से हिसाब कर पैसे देना है,
माँ मुझे भी स्कूल जाना है।।
घर के सारे काम करके माँ मै स्कूल के भी काम कर लूंगी,सु
बह जल्दी भी उठ जाऊंगी
भैया के भी सारे काम कर दिखाऊंगी,
बस माँ भैया को तुम मनाना की वह
अपने साथ मुझे भी ले जाए क्योंकि
माँ मुझे भी स्कूल जाना है।।
तुमसे दूर तो एक पल भी नहीं रह सकती हूँ मै माँ
पर घंटी बजने की इंतजार  जरूर करती रहूँगी ,
तुम अकेले घर मे उदास मत होना माँ,
आऊँगी मै तुम्हे तो सारी बाते बताऊंगी माँ
वो मास्टर जी की फटकार, वो मैडम की दुलार,
स्कूल के वो पेड़ पर लगे झूले,
सहेलियो के साथ वो हसी ठहाके
ये सब मुझे अच्छा लगता है माँ बस
माँ मुझे भी स्कूल जाना है।।
माँ मैंने सुना है कि स्कूलों में सब एक समान रहते है
वहा ना कोई छोटा ना कोई बड़ा होता है,
मै भी अपनी अलग पहचान से जानी जाऊंगी ना माँ,
मुझे भी अपने गाँव अपने देश के लिए कुछ करना है माँ
माना कि मै तुम्हारी बैठी हूँ,
पर माँ मुझे भी अब देश की बेटी कहलाना है,
माँ मुझे भी स्कूल जाना है
माँ मुझे भी स्कूल जाना है।।
— सरिता श्रीवास्तव

सरिता श्रीवास्तव

जिला- बर्धमान प्रदेश- आसनसोल, पश्चिम बंगाल