कविता

कविता-मोबाइल शिक्षा

कोरोना महामारी ने ऐसा कहर बरपाया,
लग गया लॉकडाउन बंद हुआ पठन-पाठन सारा,
बंद हुए विद्यालय और सभी शिक्षण संस्थान,
माथे पर बल पड़ा और परेशान हो गया इंसान।
इस परेशानी का हल भी तुरंत निकला,
बंद हुए विद्यालय पर न बंद हुई आशा,
मोबाइल की महत्ता सबको समझ में आयी,
बस शुरू हो गयी लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई।
शुरू-शुरू में आयी थोड़ी परेशानी,
लोगों को लगा इससे होगी हानि,
बच्चों की तो बात ही मत करो भाई,
अभिभावकों को समझाने में भी आई परेशानी।
धीरे-धीरे चल पड़ी ये प्रथा नई वाली,
बच्चों की तो आ गयी हो जैसे दीवाली,
अब मिलने लगा था मोबाइल हाथों में,
पूरी हुई लालसा जो छिपी हुई थी मन में,
कहीं ज़ूम एप से शुरू हो गयी पढ़ाई,
तो कहीं व्हाट्सएप ने नई राह बनाई,
पुरी नहीं सही मगर कुछ तो हो ही गयी पढ़ाई,
मम्मियों की थोड़ी तो जान में जान आयी।
अगर करते हैं उपयोग सम्हल कर तो,
यह मोबाइल फ़ोन भी है बड़े काम की वस्तु,
समस्याएँ हल हो जाती है चुटकी में इससे,
सारी परेशानियाँ हो जाती है छू-मंतर-छू।
— बिप्लव कुमार सिंह

बिप्लव कुमार सिंह

बेलडीहा, बांका, बिहार