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बात अब मुहूर्त की महिमा प्रभु श्री राम की

जिस दिन से श्री रामजन्मभूमि निर्माण ट्रस्ट ने अयोध्या में भूमि पूजन की तिथि की घोषणा की।अनेक लोग जिन्हें इस स्थान या यहां की आस्था से कभी कुछ लेना देना न रहा मैदान में कूद पड़े और लगे सवाल पर सवाल उठाने।एक महाशय तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका डालकर मुंह की खा गये।अनेक टेलिविजन चैनलों को चर्चा का ऐसा विषय मिला कि कोरोना महामारी चीन सीमा का संकट फीका पड़ गया।नींव पूजन से बीस दिन पहले ही एक दर्जन के लगभग टीवी पत्रकार अयोध्या पहुंच गये।सीधा प्रसारण होने लगा।कुछ ना समझ नींव पूजन को पूजापाठ समझ बैठे और उस तरह से अन्यों से तुलना करने लगे।इकत्तीस जुलाई तक दो जुलाई को निर्गत की अनलाक गाइड लाइन को अगस्त माह से जोड़ने लगे जिसके लिए अभी सरकार के कोई दिशा निद्रेश नहीं हैं।

अब प्रश्न यह उठता है कि सवाल कौन उठा रहा है उसका सवाल उठाने के पीछे उद्देश्य क्या है।इससे पूर्व का उनका इतिहास क्या है तथा वह चयनित विषयों को ही तो नहीं उठाते रहे हैं।उनके पीछे कोई उद्देश्यों की पूर्ति करने वाले लोग या लोगों का समूह तो नहीं है।उसके बाद ही ध्यान देना चाहिए।निहित राजनीतिक व सामाजिक पूर्वाग्रह से ग्रसित लोगों को भी गम्भीरता न लेना चाहिए।कुछ तो हमारे देश में ऐसे भी लोग हैं जिनको लोगों ने गम्भीरता से लेना सालों पहले छोड़ दिया है तो कुछ सोशल मीडिया के माध्यम से मनोरंजन का साधनमात्र होकर रह गये हैं।साथ ही यह भी स्पष्ट कर दूं कि एक वर्ग पिछले कई सालों से केवल विरोध के लिए ही विरोध कर रहा है।यह सब देखने के बाद देश का एक बड़ा वर्ग यह मान बैठा है कि भारत ही संसार का एक मात्र ऐसा देश है जहां बाहर के शत्रुओं का साथ देने वाले अन्दर भी कम न हैं जो समय समय पर अपने जीवित होने का प्रमाण भी देते रहते हैं।उनको लाभ यह है कि शत्रुओं के घर के  टीवी चैनलों का मसाला बनते हैं और उनके यहां के बच्चे तालियां बजा बजाकर अपना मनोरंजन करते हैं।

मुख्य विषय यह है कि जिस महान विभूति पूज्य के जन्मस्थान पर मन्दिर निर्माण के लिए नींव पूजन उसके मुहूर्त पर सवाल उठे हैं वह आज से लाखों साल पहले भले हुआ हो पर भारत पूरा भारतीय उपमहाद्वीप सुदूर एशिया अधिकांश यूरोप दोनों अमेरिका अफींका के छोटे देशों में आज तक गरिमामय न केवल बना है अपितु एक अरब से अधिक आबादी के हृदयों का हार है।जिसके संसार में प्रकट होने के अवसर पर सब कुछ कई बार अनुकूल हुआ है।प्रथम बार अबध्य हिरणाकश्यपु को मारने के लिए और स्वंय प्रभु राम के प्रकटोत्सव के समय पर।

आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण प्रथम ऐसा प्रमाणिक ग्रन्थ है जो रामचरित की चर्चा संसार के सामने  सर्वप्रथम लाता है।सीता का इनके आश्रम रहना इनके सृजन व अनुभव को और पुष्ट करता है।इसी महाकाव्य के बालकाण्ड सर्ग 18 के आठवें नवें और दसवें श्लोक से यह स्पष्ट है कि महारानी कौशल्या ने गर्भ के बारहवें मास जब राम को जन्म दिया सब कुछ अनुकूल हो गया।कदाचित यह संसार की अलौकिक घटना थी ।महीना चैत्र का पक्ष शुक्लपक्ष तिथि नवमी नक्षत्र पुर्नवसु लग्न कर्क साथ ही उस समय सूर्य मंगल शनि गुरु और शुक्र पांचों अपने-अपने उच्च स्थान पर विलक्षण स्थिति में थे।लग्न में भी चन्द्रमा के साथ वृहस्पति विराजमान था।निश्चय ही ऐसे विशिष्ट योग में कौशल्या देवी ने अलौकिक लक्षणों से युक्त सर्वलोक वन्दित जगदीश्वर श्री राम को जन्म दिया।ऐसे विराट व्यक्तित्व के लिए मेरे दृष्टिकोण से शुभ और अशुभ कैसा ? मुहूर्त क्या ?फिर भी जो तिथि समय मुहूर्त की बात की गई वह सर्वश्रेष्ठ है।पुष्टि के लिए श्लोक देखिए –

ततो यज्ञे समाप्ते तु ऋतुनाषट् समत्ययुः

ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे नावमिके तिथौ।।8।।

नक्षत्रेऽदित दैवत्ये स्वोच्च संस्थेषु पंचषु

ग्रहेषु कर्क ते लग्ने वाक्यता विन्दुना सह।।9।।

प्रोद्यमाने जगन्नाथं सर्वलोकेन मस्कृतम्।

कौशल्या जनयद् रामं दिव्यलक्षण संयुक्तम्।।10।।बालकाण्ड।।

 

पन्द्रहवीं सदी में रामचरित को आम जनमानस का कण्ठहार बनाने वाले गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस के बाद देश विदेश में हजारों रामचरित लिखे गये।अनुवाद हुए।शोध किये गये फादर कामिल बुल्के जैसे रामचरितमानस पर काम कर फूले न समाये।फ्रांस पुर्तगाल स्पेन जर्मनी जापान मारीशस सूरीनाम मलेशिया आदि में आज भी लोगों के कण्ठाहार हैं।

जहां आममहिला प्रसवकाल समीप आने पर शारीरिक व मानसिक दोनों पीड़ाओं को सहती है।कई बार अपनी जान भी जोखिम में डालती है।वहीं श्री राम जन्म का अवसर समीप आने पर कौशल्या ही नहीं सभी रानियों का समय सुखपूर्वक बीतता है।देखिए बालकाण्ड दोहा 222 के बाद की आठवीं चौपाई

सुखयुत कछुक काल चलि गयऊ  जेहि प्रभु प्रगट सो अवसर भयऊ।।

इसके बाद जन्म का अवसर आते ही ज्योतिष के अनुसार सभी योग ग्रह नक्षत्र लगन तिथि  राशियां आदि अतिविशिष्ट दशा पर आ जाते हैं।कारण सबका यही है कि चर अचर जड़ चेतन सब हर्ष से भर जाते हैं श्री राम का जन्म ही सुख का मूल है।रानियों को कष्ट छू न पाता है।देखियें रामचरितमानस का दोहा 223

जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।

चर अरु अचर हर्ष युत राम जनम सुखमूल।।

इतना ही नहीं सुख के मूल जगतनियन्ता श्री राम के जन्म के अवसर पर  प्रकृति के पांचों तत्व तेज वायु पृथ्वी जल व आकाश उनकी सेवा में तत्पर हो गए।तिथि माह नक्षत्र पक्ष मौसम अनुकूल हो गए।मुहूर्त अभिजीत होगया।साथ ही समय लोगों को विश्राम देने वाला पवित्र हो गया। देखिए दोहा 223 के बाद चौपाई 1 व 2 –

नवमी तिथि मधुमास पुनीता, शुक्लपक्ष अभिजित हरिप्रीता।

मध्य दिवस अति शीत न घामा, पावन काल लोक विश्रामा।।

जिसके प्रकटोत्सव के असवर पर यह सब हो जाता हो उसके लिए किये जाने वाले हर कार्य स्वंय सिद्ध योग हैं ऐसा मानिये।प्रश्न उठाना दोषारोपण सूर्य पर धूल फेंकने से बढ़कर कुछ नहीं।जो साधारण से असाधारण मानव से महामानव मर्यादा पुरुष बनने के लिए चौदह साल वन-वन नदी-पहाड़ समुद्र दूरदेशों-प्रदेशों तक भटका हो।घर से बाहर तक हर मर्यादा का पालनकर मर्यादापुरुषोत्तम हुआ।किन्चित भी सन्देह का स्थान नहीं।

प्रकृति मानव व संस्कृति उनके जन्म पर किस तरह सहज हुई।मानस की चौपाई तीन व चार साफ कहती है कि ठंडी सहज सुगन्धि युक्त पवन बहने लगी।देवता प्रसन्न हुए ।संतो के मन में बड़ा उत्साह था।वन फूल गये।पर्वतों पर मणियां निकल आयीं, सम्पूर्ण नदियां अमृत के समान स्वच्छ जल वाली हो गयीं यथा –

शीतल मंद सुरभि बह आऊ ।हर्षित सुर संतन मन चाऊ ।।

वन कुसुमित गिरिगण मणियारा।श्रवहिं सकल सरितामृत धारा।।

मुहूर्त चिन्तामणि जैसी पुस्तक जो विविध मुहूतों पर गहन विवेचन करती है।अभिजित मुहूर्त को महत्वपूर्ण बतलाती है।चूंकि यह मुहूर्त अभिजित है आराध्य प्रभु श्री राम पर अब तक लिखे गये सभी ग्रन्थों में स्वीकार्य ही नहीं प्रशंसित है अतः उस पर प्रश्न उठाना अपने आप पर अपने इतिहास पर अपनी संस्कृति पर प्रश्न उठाना है।प्रभु का कार्य प्रभु की इच्छा से प्रभुता दर्शाते हुए सम्पन्न हो यही मेरी व अधिकांश जनमानस की इच्छा है।देश काल परिस्थितियों की मांग भी इससे इतर नहीं मानी जा सकती।

 

 

 

 

 

*शशांक मिश्र भारती

परिचय - शशांक मिश्र भारती नामः-शशांक मिश्र ‘भारती’ आत्मजः-स्व.श्री रामाधार मिश्र आत्मजाः-श्रीमती राजेश्वरी देवी जन्मः-26 जुलाई 1973 शाहजहाँपुर उ0प्र0 मातृभाषा:- हिन्दी बोली:- कन्नौजी शिक्षाः-एम0ए0 (हिन्दी, संस्कृत व भूगोल)/विद्यावाचस्पति-द्वय, विद्यासागर, बी0एड0, सी0आई0जी0 लेखनः-जून 1991 से लगभग सभी विधाओं में प्रथम प्रकाशित रचना:- बदलाव, कविता अक्टूबर 91 समाजप्रवाह मा0 मुंबई तितली - बालगीत, नवम्बर 1991, बालदर्शन मासिक कानपुर उ0प्र0 -प्रकाशित पुस्तकें हम बच्चे (बाल गीत संग्रह 2001) पर्यावरण की कविताएं ( 2004) बिना बिचारे का फल (2006/2018) क्यो बोलते है बच्चे झूठ (निबध-2008/18)मुखिया का चुनाव (बालकथा संग्रह-2010/2018) आओ मिलकर गाएं(बाल गीत संग्रह 20011) दैनिक प्रार्थना(2013)माध्यमिक शिक्षा और मैं (निबन्ध2015/2018) स्मारिका सत्यप्रेमी पर 2018 स्कूल का दादा 2018 अनुवाद कन्नड़ गुजराती मराठी संताली व उड़िया में अन्यभाषाओं में पुस्तकें मुखिया का चुनाव बालकथा संग्रह 2018 उड़िया अनुवादक डा0 जे.के.सारंगी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन -जून 1991 से हास्य अटैक, रूप की शोभा, बालदर्शन, जगमग दीपज्योति, देवपुत्र, विवरण, नालन्दा दर्पण, राष्ट्रधर्म, बाल साहित्य समीक्षा, विश्व ज्योति, ज्योति मधुरिमा, पंजाब सौरभ, अणुव्रत, बच्चों का देश, विद्यामेघ, बालहंस, हमसब साथ-साथ, जर्जर कश्ती, अमर उजाला, दैनिक जनविश्वास, इतवारी पत्रिका, बच्चे और आप, उत्तर उजाला, हिन्दू दैनिक, दैनिक सबेरा, दै. नवज्योति, लोक समाज, हिन्दुस्तान, स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण, बालप्रहरी, सरस्वती सुमन, बाल वाटिका, दैनिक स्वतंत्र वार्ता, दैनिक प्रातः कमल, दैं. सन्मार्ग, रांची एक्सप्रेस, दैनिक ट्रिब्यून, दै.दण्डकारण्य, दै. पायलट, समाचार जगत, बालसेतु, डेली हिन्दी मिलाप उत्तर हिन्दू राष्ट्रवादी दै., गोलकोण्डा दर्पण, दै. पब्लिक दिलासा, जयतु हिन्दू विश्व, नई दुनिया, कश्मीर टाइम्स, शुभ तारिका, मड़ई, शैलसूत्रं देशबन्धु, राजभाषा विस्तारिका, दै नेशनल दुनिया दै.समाज्ञा कोलकाता सहित देश भर की दो सौ से अधिक दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत। अन्तर जाल परः- 12 अगस्त 2010 से रचनाकार, साहित्य शिल्पी, सृजनगाथा, कविता कोश, हिन्दी हाइकु, स्वर्गविभा, काश इण्डिया ,मधेपुरा टुडे, जय विजय, नये रचनाकार, काव्यसंकलन ब्लाग, प्रतिलिपि साहित्यसुधा मातृभाषाडाटकाम हिन्दीभाषा डाटकाम,युवाप्रवर्तक,सेतु द्विभाषिक आदि में दिसम्बर 2018 तक 1000 से अधिक । ब्लागसंचालन:-हिन्दी मन्दिरएसपीएन.ब्लागपाट.इन परिचय उपलब्ध:-अविरामसाहित्यिकी, न्यूज मैन ट्रस्ट आफ इण्डिया, हिन्दी समय मा. बर्धा, हिन्दुस्तानी मीडियाडाटकाम आदि। संपादन-प्रताप शोभा त्रैमा. (बाल साहित्यांक) 97, प्रेरणा एक (काव्य संकलन 2000), रामेश्वर रश्मि (विद्यालय पत्रिका 2003-05-09), अमृतकलश (राष्ट्रीय स्तर का कविता संचयन-2007), देवसुधा (प्रदेशस्तरीय कविता संचयन 2009),देवसुधा (अ भा कविता संचयन 2010), देवसुधा-प्रथम प्रकाशित कविता पर-2011,देवसुधा (अभा लघुकथा संचयन 2012), देवसुधा (पर्यावरण के काव्य साहित्य पर-2013) देवसुधा पंचम पर्यावरणविषयक कविताओं पर 2014 देवसुधा षष्ठ कवि की प्रतिनिधि काव्यरचना पर 2014 देवसुधा सात संपादकीय चिंतन पर 2018 सह संपादन लकड़ी की काठी-दो बालकविताओं पर 2018 आजीवन.सदस्य/सम्बद्धः-नवोदित साहित्यकार परिषद लखनऊ-1996 से -हमसब साथ-साथ कला परिवार दिल्ली-2001 से -कला संगम अकादमी प्रतापगढ़-2004 से -दिव्य युग मिशन इन्दौर-2006 से -नेशनल बुक क्लव दिल्ली-2006 से -विश्व विजय साहित्य प्रकाशन दिल्ली-2006 से -मित्र लोक लाइब्रेरी देहरादून-15-09-2008 से -लल्लू जगधर पत्रिका लखनऊ-मई, 2008 से -शब्द सामयिकी, भीलबाड़ा राजस्थान- -बाल प्रहरी अल्मोड़ा -21 जून 2010 सेव वर्जिन साहित्य पीठ नई दिल्ली 2018 से संस्थापकः-प्रेरणा साहित्य प्रकाशन-पुवायां शाहजहांपुर जून-1999 सहसंस्थापक:-अभिज्ञान साहित्यिक संस्था बड़ागांव, शाहजहांपुर 10 जून 1991 प्रसारणः- फीबा, वाटिकन, सत्यस्वर, जापान रेडियो, आकाशवाणी पटियाला सहयोगी प्रकाशन- रंग-तरंग(काव्य संकलन-1992), काव्यकलश 1993, नयेतेवर 1993 शहीदों की नगरी के काव्य सुमन-1997, प्रेरणा दो 2001 प्यारे न्यारे गीत-2002, न्यारे गीत हमारे 2003, मेरा देश ऐसा हो-2003, सदाकांक्षाकवितांक-2004, सदाकांक्षा लघुकथांक 2005, प्रतिनिधि लघुकथायें-2006, काव्य मंदाकिनी-2007, दूर गगन तक-2008, काव्यबिम्ब-2008, ये आग कब बुझेगी-2009, जन-जन के लिए शिक्षा-2009, काव्यांजलि 2012 ,आमजन की बेदना-2010, लघुकथा संसार-2011, प्रेरणा दशक 2011,आईनाबोलउठा-2012,वन्देमातरम्-2013, सुधियों के पल-2013, एक हृदय हो भारत जननी-2015,काव्यसम्राटकाव्य एवं लघुकथासंग्रह 2018, लकड़ी की काठी एक बालकाव्य संग्रह 2018 लघुकथा मंजूषा दो 2018 लकड़ी की काठी दो 2018 मिली भगत हास्य व्यंग्य संग्रह 2019 जीवन की प्रथम लघुकथा 2019 आदि शताधिक संकलनों, शोध, शिक्षा, परिचय व सन्दर्भ ग्रन्थों में। परिशिष्ट/विशेषांकः-शुभतारिका मा0 अम्बाला-अप्रैल-2010 सम्मान-पुरस्कारः-स्काउट प्रभा बरेली, नागरी लिपि परिषद दिल्ली, युगनिर्माण विद्यापरिषद मथुरा, अ.भा. सा. अभि. न. समिति मथुरा, ए.बी.आई. अमेरिका, परिक्रमा पर्यावरण शिक्षा संस्थान जबलपुर, बालकन जी वारी इण्टरनेशनल दिल्ली, जैमिनी अकादमी पानीपत, विन्ध्यवासिनी जन कल्याण ट्रस्ट दिल्ली, वैदिकक्रांति परिषद देहरादून, हमसब साथ-साथ दिल्ली, अ.भा. साहित्य संगम उदयपुर, बालप्रहरी अल्मोड़ा, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद, कला संगम अकादमी प्रतापगढ़, अ. भा.राष्ट्रभाषा विकास संगठन गाजियाबाद, अखिल भारतीय नारी प्रगतिशील मंच दिल्ली, भारतीय वाङ्मय पीठ कोलकाता, विक्रमशिला विद्यापीठ भागलपुर, आई.एन. ए. कोलकाता हिन्दी भाषा सम्मेलन पटियाला, नवप्रभात जनसेवा संस्थान फैजाबाद, जयविजय मासिक, काव्यरंगोली साहित्यिक पत्रिका लखीमपुर राष्ट्रीय कवि चौपाल एवं ई पत्रिका स्टार हिन्दी ब्लाग आदि शताधिक संस्था-संगठनों से। सहभागिता-राष्ट्रीय- अन्तर्राष्टीय स्तर की एक दर्जन से अधिक संगोष्ठियों सम्मेलनों-जयपुर, दिल्ली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, देहरादून, अल्मोड़ा, भीमताल, झांसी, पिथौरागढ़, भागलपुर, मसूरी, ग्वालियर, उधमसिंह नगर, पटियाला अयोध्या आदि में। विशेष - नागरी लिपि परिषद, राजघाट दिल्ली द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-1996 -जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2003 में प्रथम स्थान -हम सब साथ-साथ नई दिल्ली द्वारा युवा लघुकथा प्रतियोगिता 2008 में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान। -सामाजिक आक्रोश पा. सहारनपुर द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2009 में सराहनीय पुरस्कार - प्रेरणा-अंशु द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2011 में सांत्वना पुरस्कार --सामाजिक आक्रोश पाक्षिक सहारनपुर द्वारा अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2012 में सराहनीय पुरस्कार -- जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 16 वीं अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2012 में सांत्वना पुरस्कार ,जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 24 वीं अ.भा. लघुकथा प्रतियोगिता 2018 में सांत्वना पुरस्कार सम्प्रति -प्रवक्ता संस्कृत:-राजकीय इण्टर कालेज टनकपुर चम्पावत उत्तराखण्ड स्थायी पताः- हिन्दी सदन बड़ागांव, शाहजहांपुर- 242401 उ0प्र0 दूरवाणी:- 9410985048, 9634624150 ईमेल [email protected]/ [email protected]