कविता

मेरा देश

हरा , भरा है मेरा देश ,
सुखद, मनोरम प्यारा देश
धरा यहाँ की बहुत पवित्र,
सब धर्मावलम्बी मेरे मित्र।।
एक समान हैं सारे धर्म,
हम सब करते अच्छे कर्म।
होली, ईद, दशहरा दीवाली
मिलजुल कर आती खुशहाली
याद है बचपन और स्कूल ,
वो गलियाँ और उड़ती धूल
जिन वीरों ने दिया बलिदान
आओ याद में गाएँ गान।
यहाँ के मोमिन,ग़ालिब मीर,
यहीं है पुरखों की जागीर।
सुबह सलोनी प्यारी शाम,
सबके दिल में सबके राम।
धर्म कई पर हम सब एक
रंग, रूप, भाषाएँ अनेक।।
तुलसीदास और संतकबीर,
जायसी जैसे पीर फ़क़ीर।
यहाँ के कृष्ण यहाँ के राम,
बहुत पवित्र हैं चारों धाम।
सबसे महान है हिंदुस्तान ,
बँगला देश न पाकिस्तान।
 जान से प्यारा हिंदुस्तान ,
यही है अपनी सबकी शान
— आसिया फ़ारूक़ी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र