सामाजिक

एक कतरा प्यार

प्यार एक महसूस करने वाली चीज है। प्यार को किसी, शब्द,भाव या परिधि में बाँधा नहीं जा सकता।
प्यार को महसूस किया जा सकता, अहसास किया जा सकता है।प्यार सम्मान है, समर्पण है।
प्यार को बस महसूस ही किया जाता है,नापा नहीं जा सकता है।प्यार किसी को किसी से भी हो सकता है।इंसान ,जानवर ,पशु पक्षी, प्रकृति, अपने परिवार, बच्चे, आराध्य किसी को किसी से भी हो सकता है।
प्यार का एक कतरा भी महसूस करिए तो पहाड़ सा विशालकाय लगता है।न महसूस हो तो औचित्य ही शेष कहाँ बचता है।
इसलिए प्यार को प्यार करिए, महसूस करिए और सीमा में बाँधने का प्रयास मत करिए, क्योंकि प्यार को पूजा माना जाता है और पूजा को बाँधा नहीं जा सकता, उसकी हद निर्धारित करने की मूर्खतापूर्ण ही होगा।
★ सुधीर श्रीवास्तव

*सुधीर श्रीवास्तव

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