मेरी आँखो से रिसता
तेरी यादों का हर पल
बूँद बन पिघल जाता
मेरी कोमल कपोलों पर
आ कर बिछ जाता लिए
मूक वेदना मेरे मन की
सिहर उठती तेरी यादें
तड़पाती मेरे मन भीतर
खामोश निगाहें ढूँढती
दूर तक तेरी निष्ठुर राह
जहाँ से गया फिर न आया
इंतजार में रहेंगे हर पल
जब तक लौट नहीं आएंगी
तुम्हें ले कर मेरी रिसती
नयनों की बूंदें
मुझे उम्मीद है मेरी तन्हाई
तुम्हे ले कर ही आएगी
मेरी दहलीज तक एक दिन
— शिव सन्याल