ब्लॉग/परिचर्चा

रोड शो- 13 : बातें प्रकाश की

आज बातें प्रकाश की करते हैं.

प्रकाश एक ऐसा पदार्थ है, जिसकी मदद से हम वस्तुओं को देख पाते हैं। यह असंख्य छोटे-छोटे ऊर्जा कणों ‘फोटॉन से मिलकर बना होता है।

1. प्रकाश हमेशा सीधी रेखा में चलता है।
2. प्रकाश अपने स्रोत से एक साथ सभी दिशाओं में निकलता है।
3. यह जब किसी माध्यम से गुजरता है, तभी दिखाई पड़ता है, वरना नहीं।

प्रकाश की चाल लगभग तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकंड है। सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश को पहुंचने में आठ मिनट लगते हैं।

प्रकाश का प्रमुख स्त्रोत है सूर्य. प्रकाश उत्पन्न करने वाली ऐसी वस्तुएं जो इस ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं, उन्हें प्राकृतिक प्रकाश स्रोत कहते हैं। जैसे, सूर्य, तारे, जुगनू, स्टार फिश इत्यादि।

प्रकाश उत्पन्न करने वाली ऐसी वस्तुएं, जिनका निर्माण मनुष्य ने किया है, उन्हें कृत्रिम प्रकाश स्रोत कहते हैं। जैसे विद्युत बल्ब, मोमबत्ती, दीपक आदि। जो वस्तुएं प्रकाशमान नहीं होती हैं, उन्हें अदीप्त वस्तुएं कहते हैं, जैसे कुर्सी, मेज, चंद्रमा, पृथ्वी आदि।

सौर ऊर्जा वह ऊर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यहीं धरती पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़-पौधे और जीव-जन्तु) का सहारा है।वैसे तो सौर ऊर्जा के विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की ऊर्जा को दो प्रकार से विदुत ऊर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की उष्मा से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर सौर ऊर्जा सबसे श्रेष्ठ ऊर्जा है। यह भविष्य में उपयोग करने वाली ऊर्जा है।

प्रकाश को रोशनी भी कहते हैं.
आपके अंदर जो रोशनी जलती है,
उसे कोई ताकत कम नहीं कर सकती !

प्रकाश और उसके रंगों से ही संबंधित है ‘रमन प्रभाव’. नोबेल पुरस्कार विजेता डा. चंद्रशेखर वैंकट रामन किसी भी पुस्तक को पढ़ते समय जो बात समझ में नहीं आती थी, उसे चिन्हित कर वे हाशिये पर क्यों या कैसे लिख देते थे। इसके बाद वे उसकी खोज में जुट जाते थे। इसी जिज्ञासा ने उन्हें महान वैज्ञानिक बना दिया। एक बार इंग्लैण्ड से लौटते समय पानी के जहाज की डेक पर बैठे हुए उन्होंने सोचा कि समुद्र का जल नीला क्यों है ?उस समय यह धारणा थी कि नीले आकाश के प्रतिबिम्ब के कारण ऐसा है; पर उन्हें इससे सन्तुष्टि नहीं हुई। अपने स्वभाव के अनुसार वे इस सम्बन्ध में गहन शोध में लग गये। सात वर्ष के लगातार शोध के बाद उन्होंने जो निष्कर्ष निकाले उसे आगे चलकर प्रकाश और उसके रंगों पर ‘रमन प्रभाव’ कहा गया।

प्रकाश पर्व दिवाली-

दिवाली दीपों का त्योहार है. यह प्रकाश पर्व भी कहलाता है. प्रकाश पर्व दिवाली की देश भर में अलग-अलग छटाएँ दिखती हैं. दिवाली के दीये केवल शहरों को ही रोशन नहीं करते बल्कि गांवों को भी प्रकाश से भर देते हैं। गांव के सरल और देहाती लोग न केवल इस प्रकाशपर्व को हर्ष-उल्लास से मानते हैं बल्कि अपनी परम्पराओं को भी निष्ठापूर्वक निभाते हैं। उत्तर प्रदेश के गांवों में दीवाली के समय घरों की सफाई कर उन्हें सजाया जाता है। धनतरेस के दिन नए बर्तन खरीद कर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने का रिवाज है। दिवाली के दूसरे दिन भोर में घर से दरिद्र को निकालने की परम्परा है जिसे महिलाएं पूरा करती हैं। इसे दरिद्र-खेदना भी कहा जाता है और रात में काजल बना कर सुबह शौक से लगाया जाता है। कुछ गांवों में दिवाली के कुछ दिनों बाद तक पीडिया मनाने की भी परम्परा है जिसमें लड़कियां और महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करती हैं। दिवाली के दूसरे दिन गोर्वधन पूजा होती है। अन्नकूट की पूजा का भी चलन है।

छात्राओं की असली दिवाली-
स्कूल जाने में छात्राओं को होती थी परेशानी, सोनू सूद को पता चली बात तो भेजा साइकल का ‘दिवाली गिफ्ट’

प्रकाश पर्व गुरु नानक जयंती-
गुरु नानक देव जी के जन्मोत्सव प्रकाश पर्व को मनाने वाले श्रद्धालु इस मौके पर गुरुद्वारों समेत जगह -जगह लंगर आयोजित करते हैं। नगर कीर्तन निकालते हैं। ढोल नगाड़ों के साथ कलाकार गतका परफॉर्म करते हैं और कहीं-कहीं तरवार बाजी की कला भी देखने को मिलती है।

प्रकाश से संबंधित कुछ पर्व और भी हैं-
मकर संक्रांति——
मकर संक्रान्ति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है , इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।

छठ पूजा-
छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है. सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।

सत्यार्थ प्रकाश

प्रकाश का नाम आते ही सत्यार्थ प्रकाश का नाम मन में आ जाना स्वाभाविक है. सत्यार्थ प्रकाश आर्य समाज का प्रमुख ग्रन्थ है जिसकी रचना महर्षि दयानन्द सरस्वती ने १८७५ ई में हिन्दी में की थी। ग्रन्थ की रचना का कार्य स्वामी जी ने उदयपुर में किया। लेखन-स्थल पर वर्तमान में सत्यार्थ प्रकाश भवन बना है। प्रथम संस्करण का प्रकाशन अजमेर में हुआ था। उन्होने १८८२ ई में इसका दूसरा संशोधित संस्करण निकाला। अब तक इसके २० से अधिक संस्करण अलग-अलग भाषाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।

सत्यार्थ प्रकाश की रचना का प्रमुख उद्देश्य आर्य समाज के सिद्धान्तों का प्रचार-प्रसार था। इसके साथ-साथ इसमें ईसाई, इस्लाम एवं अन्य कई पन्थों व मतों का खण्डन भी है। उस समय हिन्दू शास्त्रों का गलत अर्थ निकाल कर हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को बदनाम करने का षड्यन्त्र भी चल रहा था। इसी को ध्यान में रखकर महर्षि दयानन्द ने इसका नाम सत्यार्थ प्रकाश (सत्य+अर्थ+प्रकाश) अर्थात् सही अर्थ पर प्रकाश डालने वाला (ग्रन्थ) रखा।

थॉमस अल्वा एडीसन
प्रकाश का जिक्र चल रहा हो और थॉमस अल्वा एडीसन का नाम न आए, ऐसा कैसे हो सकता है! थॉमस अल्वा एडीसन ने प्रकाश देने वाले विद्युत् बल्ब का आविष्कार किया था.
बचपन में थॉमस अल्वा एडीसन को स्कूल से मानसिक दिव्यांग घोषित कर थॉमस ऐल्वा एडिसन को स्कूल से निकाल दिया गया. मां की लगन और प्रेरणा का ही प्रभाव था, कि बल्ब को बनाने में थॉमस ऐल्वा एडीसन 10000 बार से भी ज्यादा बार असफल हुए फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और प्रकाश देने वाले बल्ब का आविष्कार किया, जिसने सबकी जिन्दगी में एक तरह से प्रकाश से भर दिया. बचपन में मंदबुद्धि वाला बालक अपने जीवन काल में 1093 आविष्कारों का जनक बने जो कि शायद एक विश्व रिकॉर्ड है. इतने अधिक आविष्कार इनके अलावा अब तक किसी ने नही किया है. एक असफलता से हार मानने पर ऐसा होना संभव ही नहीं था.

वे पहले आविष्कारक जिनकी अपनी प्रयोगशाला थी. उन्होंने पहले विद्युत् बल्ब का आविष्कार किया था| पहला विद्युत् बल्ब 40 घंटे तक और दूसरा विद्युत् बल्ब 225 घंटे तक चला था| उन्होंने फिल्मी कैमरे की खोज की भी थी.
उन्होंने प्रतिदीप्तिदर्शी (Fluoroscope) और पुनः चार्ज होने वाली बैटरी का आविष्कार भी किया था|

जेम्स क्लार्क मैक्सवेल
प्रकाश का विद्युत-चुम्बकीय सिद्धांत ब्रिटेन के महान वैज्ञानिक जेम्स क्लार्क मैक्सवेल (James Clerk Maxwell) द्वारा सन् 1865 में प्रतिपादित किया था। प्रकाश के वास्तविक रूप को समझ पाना न्यूटन के समय से ही वैज्ञानिकों के लिए एक जटिल गुत्थी रहा था। इसके लिए विभिन्न वैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न अवधारणाएं प्रस्तुत की थी। किसी como criar uma loja virtual ने प्रकाश की व्याख्या कणों के रूप में की तो किसी ने इसे तरंगों के रूप में व्याख्यायित किया। अधिकतर वैज्ञानिकों ने प्रकाश को चलने के लिए ईथर जैसे, माध्यम की कल्पना की.

साहस का प्रकाश फैलाती इस छात्रा की गाथा पढ़िए-लड़की को हुआ कोरोना, एंबुलेंस के अंदर बैठ दिया PSC Exam
किसी भी काम को करने के लिए जरूरी होता है जज्बा, लगन, उस काम के प्रति शिद्दत । तभी ही वो मुक्कमल हो पाता है। बिना शिद्दत के कोई बात पूरी नहीं हुई है जिंदगी में। गोपिका गोपन नाम की एक छात्रा लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। बीते काफी समय से वो इसी तैयारियों में जुटी थी। वो असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए तैयारी कर रहीं थीं। सोमवार के दिन था उनका पेपर। अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई, एंबुलेंस के अंदर बैठ दिया PSC Exam.

सद्भाव और साहस का प्रकाश फैलाती कुछ और गाथाओं की सुर्खियां-

चौथी में पढ़ने वाला ये बच्चा एक पैर से खेलता है फुटबॉल, वीडियो देख हिम्मत मिलेगी

वीडियो: 2 घंटे में 500 KM दौड़ाई लैम्बोर्गिनी, बचा ली एक शख्स की जान

छूटी नौकरी, आज लोकल चाय का बिजनेस कर ₹1 लाख कमा रहा है ये बंदा

दोस्ती की मिसाल हैं ये बिल्ली और घोड़ा, 7 वर्षों से हैं साथ

15 सेकेंड के अंदर ये चार लड़कियां बन गई टाइगर, पर कैसे?

अमृता राव और पति अनमोल ने फैन्स से पूछा बच्चे के लिए नाम, मिले मजेदार जवाब
फैन्स ने सुझाए दोनों के नाम जोड़कर ये नाम
अनमोल और अमृता को फैन्स ने अमन, अमोल, अमरान, अथित, अथर्व, आयुष, रियान और अनरित जैसे नाम सजेस्ट किए हैं। एक फैन ने मजाक में अमरेंद्र बाहुबली नाम भी सुझाया है।

70 साल का शख्स हार्ट सर्जरी से उठा, पीछे से पत्नी ने जीती ₹24 लाख की लॉटरी

सड़क पर कचरा फेंक निकल गए थे युवक, लेकिन आना पड़ा 80 KM वापस

गरीब बच्चों के लिए 24 वर्षीय युवक ने बनाया ऐसा स्कूल बैग जो बन जाता है डेस्क

कुम्हार ने बनाया ऐसा दीया जो 24 घंटे तक जलता रहेगा
छत्तीसगढ़ के एक कुम्हार अशोक चक्रधारी ने मिट्टी का एक ऐसा दीपक डिजाइन किया है, जो 24 घंटे तक जलता रहेगा. इसे मैजिक लैंप का नाम दिया गया है.

बात प्रकाश की निकली है तो बात प्रकाश गुप्ता की भी होगी.
फ्रीलांसर प्रकाश गुप्ता का ब्लॉग
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/freelanser/

प्रकाश गुप्ता अपना ब्लॉग के शुरुआती दिनों के ब्लॉगर हैं. उनके ब्लॉग्स तो बहुत पसंद किए ही जाते हैं, उनकी प्रतिक्रियाएं भी लाजवाब होती हैं.

”बहाना चाहिए”.ब्लॉग पर प्रकाश गुप्ता ने लिखा था.

Prakash Gupta
आदरणीय टीचर जी, अब टिप्पणी न करने का कोई बहाना नहीं हें हमारे पास. सामान्य से शब्दों में भी आप जान डाल देती हें. बहुत सुन्दर ब्लॉग

जीवन प्रकाश चमोली
जीवन प्रकाश चमोली का ब्लॉग
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/MERE-MAN-SE/

जीवन प्रकाश चमोली भी बहुत अच्छे ब्लॉग्स और प्रतिक्रियाएं लिखते हैं.

प्रकाश मौसम
दार्शनिक और आध्यात्मिक लेखनी वाले प्रकाश मौसम को भला कैसे भुलाया जा सकता है? अभी-अभी हमने सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 17 में उनकी लाजवाब कविता पढ़ी है. दिलखुश जुगलबंदी- 33 को तो आप भूले नहीं होंगे, जो उनकी काव्य-रचना पर आधारित ब्लॉग ”सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 17” के कामेंट्स पर सृजित है.उनका ताजा ब्लॉग ”गूंज” है, जिस पर आप दिलखुश जुगलबंदी भी पढ़ चुके हैं.

प्रकाश मौसम का ब्लॉग

https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/Prakash-Mausam/

प्रसिद्ध पूर्व भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण

प्रकाश पादुकोण एक प्रसिद्ध पूर्व भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। इनका जन्म १० जून, १९५५ को हुआ था और वे कर्नाटक के रहने वाले हैं। भारत में बैडमिंटन के कई महान एकल खिलाड़ी हुए हैं, लेकिन भारतीय बैडमिंटन के बारे में दुनिया के दृष्टिकोण पर सबसे गहरा असर पादुकोण ने डाला। इन्होंने ही सबसे पहले यह दिखाया था कि चीनियों का मुकाबला कैसे किया जा सकता है। नियंत्रण और सटिकता का इस्तेमाल करते हुए वे खेल को धीमा करके अपनी गति पर ले आते थे और उनकी चतुराई उन्हें डगमगा देती थी। १९८१ में कुआलालंपुर में विश्व कप फाइनल में हान जियान को १५-० से ध्वस्त कर दिए थे। ये लगातार नौ साल 1971 से 1979 तक वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियन रहे | प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण इन्हीं की बेटी है।

 

हिन्दी फ़िल्मकार प्रकाश झा

प्रकाश झा (जन्म : २७ फ़रवरी १९५२, चंपारण बिहार, भारत) एक हिन्दी फ़िल्मकार है। फ़िल्में : बन्दिश, मृत्युदंड, राजनीति, अपहरण, दामूल, गंगाजल, टर्निंग 30 आदि (सभी हिन्दी) एक भारतीय हिंदी फिल्म के निर्माता निर्देशक, चलचित्र के कथा लिखनेवाला, प्रकाश झा ऐसे फिल्मकार हैं, जो फिल्मों के माध्यम से सामाजिक-राजनीतिक बदलाव की उम्मीदें लेकर हर बार बॉक्स ऑफिस पर हाजिर होते हैं। उनके साहस और प्रयासों की इस मायने में प्रशंसा की जाना चाहिए कि सिनेमा की ताकत का वे सही इस्तेमाल करते हैं अपनी ‍पहली फिल्म ‘दामुल’ के जरिये गाँव की पंचायत, जमींदारी, स्वर्ण तथा दलित संघर्ष की नब्ज को उन्होंने छुआ है। इसके बाद सामाजिक सरोकार की फिल्में बनाईं। बाद में मृत्युदण्ड, गंगाजल, अपहरण और अब राजनीति (2010 फ़िल्म) लेकर मैदान में उतरे हैं। अपने बलबूते पर उन्होंने आम चुनाव में उम्मीदवार बनकर हिस्सा लिया है। ये बात और है कि वे हर बार हार गए। भ्रष्ट व्यवस्था तथा राजनीति की सड़ांध का वे अपने स्तर पर विरोध करते हैं। यही विरोध उनकी फिल्मों में जीता-जागता सामने आता है। मृत्युदंड से लेकर अपहरण तक उनकी फिल्मों को दर्शकों ने दिलचस्पी के साथ देखा और सराहा है।

हास्य अभिनेता ओम प्रकाश-
ओम प्रकाश (१९ दिसम्बर १९१९ – २१ फ़रवरी १९९८) भारतीय हिन्दी सिनेमा के हास्य अभिनेता थे।[1] [2][3] उन्होंने हावड़ा ब्रिज (१९५८), दस लाख (१९६६), प्यार किये जा (१९६६), पड़ोसन (१९६८), चुपके चुपके (१९७५), नमक हलाल (१९८२), गोलमाल (१९७९), चमेली की शादी (१९८६), शराबी (१९८४) और लावारिस (१९८१) सहित अनेकों सफल फ़िल्मों में अभिनय किया

हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार स्वयं प्रकाश

स्वयं प्रकाश हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सतर्कता अधिकारी और हिंदी अधिकारी रहे थे. विगत लगभग दो दशकों से वह भोपाल में रह रहे थे.

प्रगतिशील लेखक संघ की मुखपत्रिका ‘वसुधा’ और बच्चों की चर्चित पत्रिका ‘चकमक’ के संपादक रहे स्वयं प्रकाश के एक दर्जन से अधिक कहानी संग्रह और पांच उपन्यास प्रकाशित हुए थे.

स्वयं प्रकाश का जन्म 20 जनवरी 1947 को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था. उन्हें एक कहानीकार के तौर पर जाना जाता था. कहानी के अलावा उन्होंने उपन्यास और दूसरी विधाओं में भी अपनी कलम का जादू बिखेरा था.

उनके लिखे उपन्यास जलते जहाज पर (1982), ज्योति रथ के सारथी (1987), उत्तर जीवन कथा (1993), बीच में विनय (1994) और ईंधन (2004) हैं. ‘सूरज कब निकलेगा’ राजस्थान के मारवाड़ इलाके में 70 के दशक में आई बाढ़ पर लिखी गयी कहानी थी. राजस्थान उनकी कहानियों में अक्सर पाया जाता था.

राजस्थान में रहते हुए स्वयं प्रकाश ने अपने मित्र मोहन श्रोत्रिय के साथ लघु पत्रिका ‘क्यों’ का संपादन-प्रकाशन किया तो ‘फीनिक्स’, ‘चौबोली’ और ‘सबका दुश्मन’ जैसे नाटक भी लिखे.

इसके अलावा मात्रा और भार (1975), सूरज कब निकलेगा (1981), आसमां कैसे-कैसे (1982), अगली किताब (1988), आएंगे अच्छे दिन भी (1991), आदमी जात का आदमी (1994), अगले जनम (2002), संधान (2006), छोटू उस्ताद (2015) नाम से उनके कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं.

उन्होंने हिंदी से एमए किया था और साल 1980 में उन्हें पीएचडी की उपाधि मिली थी. इसके अलावा उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल की थी.

कहानी लेखन शुरू करने से पहले वह कविताएं लिखते थे और विभिन्न मंचों पर इनका पाठ भी किया करते थे.

उन्हें साहित्य अकादमी ने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से छपी बच्चों की पुस्तक ‘प्यारे भाई रामसहाय’ के लिए बाल साहित्य का अकादमी पुरस्कार दिया था. इसके अलावा उन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार, पहल सम्मान, विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, भवभूति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, वनमाली स्मृति पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मान दिए गए थे.

उनकी आत्मकथात्मक कृति ‘धूप में नंगे पांव’ के नाम से प्रकाशित हुई.

बातें प्रकाश की और भी बहुत-सी हैं, आज बस इतना ही. शेष बातें फिर कभी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “रोड शो- 13 : बातें प्रकाश की

  • लीला तिवानी

    प्रकाश का प्रकाश को पैगाम–
    अपने लौ को सदैव मध्यम ही जलने दो
    प्रकाश पर खुद के कभी घमंड न हो
    प्रेरणा बनो सबकी, दिखाना राह–ए–नज़र
    प्रकाश तुम राह दिखाते रहना यूं ही निरंतर |

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