सामाजिक

सरहद पर ठंड

अब ठंड अपनी रौ में आ गई है।ऐसे समय में जब हम सभी घरों में गरम कपडों, रजाई कंबल और गर्म कपडों और अलाव में सुरक्षित रहते हैं,तब हमारे सैनिक भाई एक ओर जहां दुश्मनों से देश को सुरक्षित रखने के लिए हर पल सरहद की निगहबानी में मुस्तैद रहते हैं।ऊपर से भीषण ठंड भी उन सबके लिए किसी दुश्मन से कम नहीं है।
हाँड कँपा देने और हड्डियों तक को हिलाकर रख देने वाली ठंड में 0 डिग्री तापमान में भी खुद के साथ सरहद की रक्षा एकतरफ कुँआ और दूसरी ओऋ खाई जैसी है।लेकिन हमारे रणबांकुरों का जोश कभी कम नहीं होता।लेकिन सरहद की ठंड इतनी सुविधाओं के बाद भी हर वर्ष हमारे अनेक सैनिक भाईयों की मौत का कारण भी बनती है।बावजूद इसके हमारे जाँबाज लाख ऊहापोह के बाद भी अपने कर्त्तव्य पथ से तनिक भी विचलित नहीं होते।
तब जाकर देश के लोग चैन की नींद सोते हैं और दुश्मन इस ठंड का इंतजार करते हुए दुष्चक्र करता रहता है।
कुल मिलाकर यह ठंड हमारे सरहदों पर खड़े सैनिक भाइयों के लिए किसी दुश्मन से कम नहीं है।
हम सब ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ये ठंड किसी भी नागरिक, बूढ़े, बच्चे और सैनिकों की जान न ले।
सरहद पर खड़े अपने जाँबाज सैनिक भाइयों की कुशल कामना के साथ
जय हिंद।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921