अतिथि शिक्षक
खुद जिनके भविष्य अंधकारमय हैं वो पढ़ाएंगे क्या ? फ़ख़्त दो पन्ने का संकल्प-पत्र लिए बिहार के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में जो ‘अतिथि शिक्षकों’ की बहाली हुई है, वैसे ‘अतिथि शिक्षकों’ का क्या भविष्य है ?
इसतरह इस आतिथ्य कार्य हेतु अटकाए जाकर सरकार इन्हें दिनभर अन्य तैयारी भी करने नहीं दे रहे हैं। इसतरह बिहार सरकार 40 साल तक के अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं, सब्जबाग देखने के चक्कर में ये ‘अतिथि शिक्षक’ अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं, क्योंकि 40 साल की उम्र तक वह यहाँ अटक के रह जाएंगे, फिर जब उन्हें हटाये जाएंगे, तो वे कहीं के नहीं रहेंगे!
न उन्हें कोई आकस्मिक अवकाश ही है, न विशेषावकाश ! न मातृत्व व न अन्य कोई अवकाश ही प्राप्त ! मानदेय के रूप में अधिकतम वेतन ₹25,000 सिर्फ जुलाई माह में ही हो सकते हैं, अन्य माह नहीं! क्योंकि अन्य माह में ‘रविवार’ के साथ-साथ कोई न कोई अन्य छुट्टियाँ भी है, जिससे कार्यदिवस 25 से कम हो रही है।
अतिथि शिक्षक अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं ! शिक्षा विभाग, बिहार के प्रस्तुत संकल्प-पत्र ‘बिहार विद्यालय परीक्षा समिति’ के ज्ञापांक से जारी है, जिनकी कंडिका- 5 सुस्पष्ट है, जिनमें उद्धृत है कि विद्यालय में शिक्षक नियोजन होने तक ही ‘अतिथि शिक्षक’ रहेंगे, इसलिए तो कहता हूँ कि लगभग 4,000 अतिथि शिक्षकों का भविष्य अंधकारमय है!