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रोसोगुल्ला की जॉय-जॉय

आए दिन अखबारों, लोगों के मुखारविंद और सोशल मीडिया में ‘ये दिल मांगे मोर–रसगुल्ले’ किनके हैं–बंगाल के हैं या उड़ीसा के — नित्य चर्चा लिए हैं !

1912 से पहले ‘उड़ीसा’ बंगाल में था और 1936 से पहले ‘उड़ीसा’ बिहार में था । इसतरह से बिहार और उड़ीसा — दोनों बंगाल से ही निःसृत है, बावजूद तीनों प्रांतों की संस्कृति अलग-अलग हैं।

रसगुल्ले बनानेवाले ‘हलवाई’ जाति के लोग या कारीगर सर्वाधिक संख्या में बिहार से हैं। बंगाल और उड़ीसा में रसगुल्ले बनाने वाले कारीगर और उनके पूर्वज बिहार से रहे हैं। आज भी उन कारीगरों से उनके मूल डोमिसाइल से सम्बंधित विवरण पूछे जा सकते हैं।

जो भी हो, रसगुल्ला नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाती है ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.