धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

लोकगीतों का अपना महत्व है।

पारम्परिक लोक गीत विशेष पर्वो पर गायन का चलन कम होता जा रहा है।सीधे फिल्मी गाने बजाने का चलन हो गया।पहले बुजुर्ग व जिनको लोक गीत आते है।उनको बुलावा दिया जाकर गीत गवाए जाते थे।जैसे राती जोगा,शादी, धार्मिक पर्वों, आदि पर। शादी में महिला संगीत कार्यक्रमो में फिल्मी नृत्यों ने स्टेज पर जगह ले ली है। पारम्परिक लोकगीत जो गाए जाते और बताशे बाटे जाते थे।वो विलुप्त होते जा रहे है।इस कार्यक्रम में बुजुर्ग महिलाओं को मान सम्मान मिलता औऱ उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने औऱ नई पीढ़ी को सिखाने का मौका मिलता था।संक्रमणकाल के दौरान सभी शुभकार्य में ाँ जाने पर सिमित संख्या निर्धारित की गई है जो की उचित है। साथ ही दूरी  का पालन भी करना आवश्यक है। संक्रमण काल जब भी समाप्त हो तब लोक गीतों की प्रथा को बनाये रखे ताकि  लोकगीतों में शुभ कार्य सम्पन्न हो लोक गीतों में  ईश्वर के प्रति प्रार्थना होती है।

— संजय वर्मा ‘दृष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच