फुटपाथी रईश
हम विविध परिवेशों में पले-बढ़े हैं,
कोई अत्यंत गरीबी, तो कोई रईशी से,
कोई सवर्णी और कोई फुटपाथीय
मतभेद तो होंगे ही, मनभेद मत पालिए !
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स्वस्थ तर्क-वितर्क ही मतभेद है, जो होंगे!
पर किसी से बातचीत नहीं करना,
मन में गुमार पाल लेना कि फलाँ को देख लेंगे,
यही श्मनभेदश् है !
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किसानों, मजदूरों
और नौकरों से
अशिष्ट व्यवहार करनेवाले
जमींदार व मालिक
जिंदगी में कभी भी
खुश नहीं रह सकते !
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अब घर से निकलते ही
थूक निगलने शुरू कर दीजिए,
क्योंकि घर से बाहर
पैर रखते ही
सार्वजनिक स्थान
शुरू हो जाते हैं !