कविता

कविता

लेखक के दिल के भाव तो,
साहित्य कि भावनाओं में बहते हैं
शब्द भी इन भावों से पिघल कर,
लेखनी के वश में रहते है,
साहित्य में अगर चमकना है,
साहित्य की ‘किरण’ बन कर
तो पहले माँ सरस्वती का गुणगान करें —
लेखनी तो सरस्वती है,
इसका न अपमान करें,
सत्य लिखें सौम्य लिखे,
अश्लीलता से दूर रहें,
सच चाहे कड़वा भी हो,
लेखक को स्वीकार हो
झूठ चाहे मधुर हो,
विष की तरह धिक्कार हो,
जो लिखा है आज,
वो सदियों न मिट पायेगा,
जैसा लेखन पढ़ेगा ,
समाज वैसा ही बन जायेगा,
कलम की ताक़त जहाँ में ,
तलवार से भी तेज़ है,
माया की खातिर झूठ लिखते ,
बस इसी का खेद है,
सच्चे मन से जो करता है ‘कविता’ सृजन
वही साहित्य में चमकता है,
बन कर दिनकर की ‘किरण ‘
— जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845