कविता

नारी : हृदय रागिनी

सब कहते हैं,
मुझमें बहुत सी कमी है।
मैं कहती हूँ,
यदि मैं मातृ रूप धारण कर सकती हूँ
तो मुझमें कैसी कमी है ???
सब कहते हैं,
मैं बहुत की कमज़ोर हूँ।
मैं कहती हूँ,
यदि प्रसव पीड़ा सह सकती हूँ
तो कैसे मैं कमज़ोर हूँ ???
सब कहते हैं,
मैं बहुत ही ढीठ हूँ।
मैं कहती हूँ,
यदि अपनी सन्तान के हित में लडूं
तो कैसे मैं ढीठ हूँ ???
सब कहते हैं,
मैं चुपचाप सुनती हूँ।
मैं कहती हूँ,
यदि समान देते हुए प्रत्युत्तर नहीं करती
तो क्या मैं सँकोची हूँ ??
कहने को तो बहुत कुछ है आज मेरे पास।
लेकिन सब कुछ बयाँ कर जाना
ऐसी तो मेरी फ़ितरत ही नहीं।
यदि सब कुछ बयाँ कर दूँ
तो “नारी : हृदय रागिनी”  कैसे कहलाऊंगी ????
— गीतिका पटेल “गीत”

गीतिका पटेल "गीत"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)