लघुकथा

नया पेड़

एक बड़ा पेड़ था, बहुत ही पुराना। बड़ा ही घना था वो, उस पर ढेर सारे पक्षी घोंसला बना कर रहा करते थे। बड़े पेड़ के बगल में ही एक छोटा पेड़ उगा था, उसे खुद पर बड़ा घमंड था।नये-2 पत्ते लहराती सी उसकी डालियाँ, मंत्रमुग्ध था वो अपनी सुंदरता पर। बड़े पेड़ की जड़ें बहुत पुरानी थीं। वह बूढ़ा हो गया था इसलिए उसकी छाल भी खुरदरी थी,उसके तनों में बड़े-बड़े कोटर हो गये थे जिसमें बहुत सारे जीव-जंतु रहा करते थे। बड़े पेड़ पर चिड़ियों ने अपने ढेर सारे घोंसले बना रखे थे।नए पेड़ को इस बात से बहुत ईर्ष्या होती थी कि कोई जीव-जंतु आश्रय लेने मेरे पास क्यों नहीं आता?
एक बार पक्षी का एक नया जोड़ा आया। नया पेड़ लहराते हुए उनसे बोला, उस पुराने पेड़ पर तो बहुत सारे घोंसले हैं। वहां बहुत ज्यादा भीड़ है, तुम लोग तो मेरी चिकनी और सुंदर टहनियों पर अपना घोंसला बनाओ। पक्षी के जोड़े ने पेड़ की बात पर गौर किया और अपना घोंसला उसी पेड़ पर बना लिया।एक दिन अचानक बड़े जोर का तूफान आया। नया पेड़ लहरा-लहराकर तूफान का सामना कर रहा था लेकिन वो असफल रहा और टूटकर पुराने पेड़ पर झुक गया। पुराने पेड़ का सहारा मिल जाने से नये पेड़ पर बना घोंसला टूटने से बच गया। लेकिन वह नया सुंदर और चिकनी टहनियों वाला पेड़ धराशायी हो चुका था। कुछ दिनों बाद पुराने पेड़ की बूढ़ी जड़ों से पुनः वैसा ही नया पेड़ अपनी कोंपलें फोड़ रहा था…..

लवी मिश्रा

कोषाधिकारी, लखनऊ,उत्तर प्रदेश गृह जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश