तुम मेरी ताकत हो
किसी शब्द में
‘गी’ लगी है
तो वह स्त्रीलिंग है,
‘गा’ लगी है
तो पुल्लिंग;
किन्तु ‘लुंगी’
मरद पहनता है,
तो ‘लुंगा’ जनानी !
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सोशल मीडिया में हैं,
तो भी रार ;
अब इसे छोड़ रहे हैं,
तो क्यों तकरार ?
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कोई बताएंगे….
‘अविवाहित’
और ‘कुँवारेपन’ में
क्या अंतर है ?
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पति ने
पत्नी से कहा-
‘तुम मेरी ताकत हो !’
तपाक से पत्नी ने
जवाब दी-
‘तो क्या बाकी औरतें
आपकी कमजोरी है ?’
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ओ ‘रानी’ मधुमक्खी !
अनगिनत खूँखार बर्रे को
सँभालती है,
अकेली ही !
….और मैं तो ठहरा
शरीफ बर्रा !
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मन करता है,
‘वैरागी’ बन जाऊँ !
किशोरावस्था में
शांति की खोज में
भाग गया था,
पर वहाँ
शांति नहीं मिली !
काशी में भी
नहीं मिली !
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युद्ध
और बुद्ध
दोनों
जरूरी है….
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जब प्रकृति ही
अपनी प्रवृत्ति
बदल रही है,
तब इंसान
बदल जाए,
तो क्या गिला,
क्या शिकवा ?
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तुम्हें मनाना तो,
मुझे आता नहीं;
पर यह माने नहीं
कि मैं,
तुझे चाहता नहीं !