फूहड़ डीजे संगीत
भक्ति के नाम पर ‘डीजे’ पर फूहड़, भद्दे व द्विअर्थी गाने बजाकर बेहद अवांछित डांस करनेवाले नेतानुमा किशोर क्या संदेश देना चाहते हैं ? …. अर्थात भक्ति के नाम पर ‘डीजे’ पर फूहड़, भद्दे और द्विअर्थी गाने बजाकर बेहद अवांछित डांस करनेवाले सच में सनातन धर्म के मूल को नहीं समझते! ये मौसमी लोग खुद को आधुनिक दिखाने के फेर में समयानुकूल धार्मिक बन जाते हैं और अपनी आदत को छुपाने में कोई संकोच न करते हैं!
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हमें अपने अंदर झाँकने चाहिए कि हम कितने सदाचारी हैं, सिर्फ़ सरकार को भ्रष्टाचारी कहकर हम मुक्त नहीं हो सकते हैं !
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आप अगर चायवाले हैं, तो निश्चित ही PM बन जाएंगे, किन्तु चाय बेचकर IAS बनते मैंने नहीं देखा है, उसके लिए पढ़ने ही होंगे ! एक दिन के लिए क्या-क्या शुभकामना दूं…. ताउम्र के लिए हर उत्सवों की लख-लख शुभकामनाएँ!
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चाहे यह PK (प्रशांत किशोर) आये या वह PK (आमिर खान), लेकिन उन्हें NK (नीतीश कुमार) ने इतनी दुःख व पीड़ा पहुंचाए हैं, वे तो NT (नियोजित टीचर) रहेंगे!
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जाने कितनी दफा ही द्वार खुले होंगे, शायद हरिवंश राय बच्चन जी ने कहा–
“याद मुझे है वह दिन पहले,
जिसदिन तुझको प्यार किया;
तेरा स्वागत करने को जब
खोल हृदय का द्वार दिया !”
….तो यह भी कहा–
“मन-मन्दिर में तुझे बिठाकर
तेरा जब सत्कार किया;
झुक-झुक तेरे चरणों को जब
चुम्बन बारम्बार किया !”
….तो यहभी–
“पर जब उनकी वह प्रतिभा,
नयनों से देखी जाकर;
तब छिपा लिया अंचल में,
उपहार हार सकुचाकर !”
तो फिर के लेखनबद्ध यह–
“घर से यह सोच उठी,
उपहार उन्हें मैं दूंगी;
करके प्रसन्न मन उनका,
इनकी शुभाशीष लूँगी !”