पर्यावरण

गौरैया रानी, समस्त पक्षीजगत व जीव जगत के सभी जीव-जन्तुओं की हम मनुष्यों से एक मार्मिक अपील

देखिए ! अब धूप तेज हो गई है। हमें भी भयंकर गर्मियों में जानलेवा प्यास लगती है। पहले हम लोग इस धरती पर कहीं भी,किसी भी प्राकृतिक व मनुष्य निर्मित किसी भी जलश्रोत पर पानी पी लेते थे,यथा नदी के किनारे,तालाब,कुँए के आसपास,बावड़ी,हैंडपंप और किसानों द्वारा खेत की सिंचाई के लिए लगाए गए ट्यूबवेल पर भी हम लोग खुशी-खुशी पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेते थे,परन्तु अब लगभग हर प्राकृतिक या माानवनिर्मित जलश्रोतों यथा पोखर,तालाब,नाले आदि सभी जगह उनका पानी आप लोगों ने फैक्ट्रियों से निकले रासायनिक तत्वों से,कृषि में अत्यधिक कीटनाशकों के प्रयोग से,इस देश के छोटे-बड़े सभी लाखों कस्बों और शहरों के बहुत ही गन्दे सीवर के पानी को सीधे नदियों में मिलाकर,पोखरों और तालाबों पर मॉफियाओं ने उन पर अवैध जबरन कब्जा करके,उन्हें पाटकर उन पर तमाम मॉल और अन्य तरह की बिल्डिंग बनाकर उनका अस्तित्व ही खतम करके,हमारे पानी पीने के,प्यास बुझाने के सभी प्राकृतिक या मानवनिर्मित जलश्रोतों को बहुत तेजी से तबाह कर दिया गया है ! कहने का मतलब अब हर प्राकृतिक जलश्रोत या तो सूख चुका है,या इतना ज्यादे प्रदूषित कर दिया गया है कि उसका पानी हमारे पी सकने या नहा सकने योग्य भी नहीं रहा है ! इसीलिए पिछले सालों में महाराष्ट्र के लातूर में प्यास से लाखों की संख्या में हमारे बहुत तरह के बंधु-बाँधव मारे गए थे।अत्यधिक जल दोहन और पानी के दुरूपयोग से भूगर्भीय जलस्तर भी तेजी से धरती के अन्तर उत्तरोत्तर और हर साल- दर -साल और नीचे -और नीचे जाने की वजह से पुराने कुँए,बावड़ी, हैंडपंप,यहाँ तक कि ट्यूबवेल तक भूगर्भीय जल को जमीन की सतह पर पानी उलीचने में नाकामयाब हो रहे हैं ! अब हम सभी जीवजंतुओं और पक्षी जगत के सभी पक्षियों के लिए आप लोग ही एक उम्मीद बचे हुए हैं,इसलिए प्लीज, प्लीज आप लोग हमारे लिए पीने का पानी अब कहीं -न – कहीं रखना शुरू कर दीजिए। हमारी आपसे विनती है कि हम सभी पानी पीयेंगे,अपनी प्यास बुझाएंगे तभी हम जी भी पाएंगे। जरा सोचिए हम पानी के बगैर प्यासे कितने दिन जी पाएंगे…? हमें दाना,खाना और साफ पानी मिलेगा तभी हम अपनी पूरी उम्र जी पाएंगे और तभी हम सभी आपके घर पर और उसके आसपास अपने घोसले बनाकर अपना घर बसाएंगे और अपनी पीढ़ी आगे बढ़ा पाएंगे इसके अलावे अपनी मीठी-मीठी,तरह-तरह की सुरीली आवाज में चहक भी सकेंगे…।
इसलिए प्लीज हमारे लिए अपने छत पर,घर के बाहर,बारामदे में,पार्क में या कहीं भी खुली जगह पर रोज थोड़ा सा ठंडा पीने का पानी मिट्टी के किसी बर्तन में कहीं भी रख देने की कृपा कर दिया करें। संपूर्ण पक्षी जगत और समस्त जीव जगत आपका इसके लिए आजीवन ऋणी रहेगा। अब हमारा जीवन केवल आपके सहारे ही टिका हुआ है।

-आपकी प्यारी नन्हीं-मुन्नीं गौरैया रानी,चिड़ियाँ रानी…हम सभी पक्षी जगत के लोग

— निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल .nirmalkumarsharma3@gmail.com