कविता

जिंदगी है साहब

यदि सिखना चाहो जिंदगी से.
तो बहुत कुछ सिखाती हैं.
कभी राहे. कभी मंज़िल.कभी सपने दिखाती हैं.
यदि जिद हो मंजिल को लेकर.
कोई ना कोई रास्ता निकल ही आती हैं |
यह जिंदगी है साहब बहुत कुछ सिखाती हैं.
कभी टुटती हैं साहस.
कभी मायूसी भी छाती है.
कुछ लोगों की बातें.
हौसला भी गिराती हैं.
यह जिंदगी है साहब बहुत कुछ सिखाती हैं.
अपने मंजिल के सफर में.
जिंदगी कई लोगों से मिलाती हैं.
कोई याद भी नही रहता.
किसी की यादें सताती हैं.
यह जिंदगी हैं साहब बहुत कुछ सिखाती हैं  |
— अखिलेश कुमार यादव 

अखिलेश कुमार यादव

ग्राम - बरारी शितला स्थान ,बर्निंग घाट रोड पोस्ट - बरारी भागलपुर ,812003