गीत/नवगीत

गीत

तूने नजरो  से जो दिल की बातें कही है।
वहीं मेरी तमन्नाओं की मंजिल खड़ी है।
चलो थोड़ा तो अब दिल को सुकून मिला।
इन अंधेरों में कहीं रोशनी का दिया जो जला।
मेरी आँखो को  अब तो सुकून की नींद मिली है।
वंही मेरी तमन्नाओं की मंजिल खड़ी है ।
दिल ने उन्के तस्सवुर का इन्तजार किया।
कहीं तो धड़कनों ने जरा साथ दिया।
अब न दूरी हों हमारे दर्मियां
इसी ख्याईश में ये रातें ढली हैं
वंही मेरी तमन्नाओं की मंजिल खड़ी है।
— वीणा चौबे

वीणा चौबे

हरदा जिला हरदा म.प्र.