कविता

इश्क

वेबजह दर्द से रिश्ता मत जोड़ना
इश्क की राहों से बचके निकलना

बहुत लुभाती है हर अदा इश्क की
खुद को रोक पाना होता है मुश्किल

दूर तलक महकती है राहें
बहक जाने की होती है कोशिश

ठिकाना ढूंढ लेना कोई अलग अपना
इन रास्तों पे फिर कुछ याद नहीं रहता

आंखों में नमी लव पे खामोशी
इश्क की यही है एक बड़ी निशानी

इल्जाम सरेआम लगाते हैं लोग
अपने भी पराये से लगने लगते हैं

जिसने भी प्यार किया है समझो
अपने लिए दर्द ही चुना है।

*बबली सिन्हा

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