लेख

चिंतन योग्य

चिंतन करने योग्य

सभी को रामनवमी की शुभकामनाएं
पिछले कुछ दिनों से बहुत नकारात्मक समाचार मन को आहत करने वाले मिल रहे हैं ।
कई बार तो एक ही समाचार तीन से चार बार पढ़ने सुनने को आ जाते हैं लेकिन क्या वास्तव में कभी हमने सोचा है आज जो परिस्थितियां है उसका जिम्मेदार वह वायरस या वह देश ही है।
जहां यह उत्पन्न हुआ …….
शायद नहीं क्यों???
इसके पहलू पर अपन विचार करते हैं।
हम सभी जानते हैं पहले के समय में हमारे बड़े, बुजुर्ग , पूर्वज सुबह 4:00 बजे उठकर अपना स्नान, ध्यान योग,करते थे और उनकी दिनचर्या उसी हिसाब से चलती थी ।
जल्दी रात्रि में भोजन करके सो जाते थे।
ब्रम्हचर्य का और प्रकृति के अनुकूल सभी नियमों का पालन करते थे।
भोजन में भी वह मौसमी फल सब्जी का सेवन करते थे। उस समय मुझे जहां तक ध्यान है बहुत बड़ा त्यौहार होता या बड़ा अवसर तब घर में तले हुए पकवान मिठाई बनती थी ।
नहीं तो पहले के समय में मिठाई के रूप में गुड़ का उपयोग होता था।
हम देखते हैं कि उनको समय कोई बीमारी नहीं होती थी बड़ी लेकिन वर्तमान में हम उन्हीं सब चीजों को भूलते जा रहे हैं। आज बहुत कम लोग सुबह ब्रह्म बेला में उठते हैं।
अपना ध्यान योगा करते हैं। वर्तमान में तो आए दिन कुछ ना कुछ पकवान बनते ही रहते हैं घरों में बिना त्यौहार के ही तला हुआ बनता है। पक्की रसोई बनती है। पौष्टिक खाना तो हम भूल ही गए हैं क्योंकि ज्यादातर मौसमी चीजों को हम छोड़कर बिना मौसम की फल सब्जियों को भी काम में लेते हैं ।
जिसको हम खुद जानते हैं कि वह दवाई से पकाई गई और कोल्ड स्टोरेज में रखी हुई सब्जी फल होते हैं लेकिन फिर भी हम अपने स्वाद के लिए उसको खाते हैं ।तब हम यह नहीं देखते हैं कि उसका क्या नुकसान हमारे शरीर में हो रहा है। उसका नुकसान कहीं ना कहीं यह होता है कि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है। इसके अलावा हमारे खानपान में पाश्चात्य भोजन ,फास्ट फूड शामिल हो गया है।
हम देखते हैं अक्सर बच्चे देर से उठेंगे और भोजन के टाइम पर वह नाश्ता करते हैं शाम के समय वह दिन का खाना खाते हैं और रात का खाना तो आधी रात बीतने पर यही दिनचर्या जो है हमारी इम्यून सिस्टम रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती है और हमारा आत्मविश्वास आत्म बल भी इससे कमजोर होता है और फल स्वरुप कोई भी बीमारी महामारी वायरस जल्दी शरीर पर असर करते हैं । जिसका परिणाम हम आप देख ही रहे हैं।
ऐसे में हमको चाहिए कि हमको हमारे पुरातन संस्कार की तरफ लौटना चाहिए। ध्यान, योगा , पोष्टिक चीजों को किसी न किसी रूप में दोबारा भोजन में शामिल कर लिया तो हम खुद को और हमारे परिवार को हर बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं।

डॉ सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।