कविता

त्राहि त्राहि कर रहा देश

त्राहि त्राहि कर रहा देश
मची ऐसी हा हाकार
दम तोड़ रही सांसें
कहीं बिना इलाज के
क्योंकि नहीं मिल रहा बेड
कहीं बिना ऑक्सिजन
कहीं बिना दवा, इंजेक्शन
हर तरफ बस है लाचारी पसरी हुई
हर तरफ दर्द है पसरा हुआ
हर तरफ बस आँसूओं का सैलाब
नहीं जगह हस्पतालों में
नहीं जगह श्मशानों में
नहीं जगह कब्रिस्तानों में
यूँ बस दर दर भटक रहे परिजन अपनों की खातिर
पर चिंता किसे हैं इन जाती जानों की
न  सिस्टम न सरकारों को
त्राहि त्राहि कर रहा देश
मची ऐसी हा हाकार
पर मग्न हैं सभी दल एक दूसरे पर आरोप प्रतिरोप पर
कोई दम तोड़ रहा घर में
कोई सड़क पर
कोई हस्पताल के बाहर
कोई हस्पताल में
यूँ हार रही ज़िन्दगी पग पग
और जीत रही मौत
पर कौन सुने फरियाद
चीखते, बिलखते आँसुओं की
उन अपनों की जिनके हाथों में दम तोड़ रहे अपने उनके
त्राहि त्राहि कर रहा देश
मची ऐसी हा हाकार
जो कल्पना मात्र से भी परे है
जहां ज़िन्दगी हुई मौत से बदतर
और मौत भी लाचार खड़ी कतारों में मुक्ति के लिए
यूँ बस हर तरफ है दर्द पसरा हुआ
हर तरफ खौफ़, हर तरफ बेबसी, हर तरफ आँसूओं का सैलाब
बेबस ज़िन्दगी और लाशों के ढेर में।।
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |