राजनीति

मजबूत इरादों व संकल्पशक्ति से हार रहा कोरोना

प्रदेश सरकार के प्रयासों से चीनी वायरस कोरोना से पीडित लोगों की संख्या में लगातार कमी आने लगी है। प्रदेश के जनमानस में भय का जो वातवारण बना था वह भी अब कुछ कम हो रहा है। लेकिन यह समय ऐसा है कि अब और अधिक लापरवाही या ढिलाई माहौल को और खराब भी कर सकती है। योगी सरकार के कोरोना प्रबंधन की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपनी वेबसाइट में प्रशंसा की है। ग्रामीण इलाकों में राज्य सरकार द्वारा कोरोना के माइक्रो मैनेजमेंट की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सराहना की है। विरोधी दलों के नेताओं के भ्रम फैलाने वाले बयानों और हमलों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना महामारी से निपटने के लिए 18 से 20 घंटे लगातार काम कर रहे हैं। प्रदेश के सभी सामुदायिक केंद्रों, पंचायत भवनों व स्कूलों में जांच की सुविधा मिल रही है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर पर नियंत्रण पाने के लिए प्रदेश सरकार का जोर ट्रेस, टेस्ट, ट्रीट व वैक्सीनेशन पर है। इस रणनीति के चलते प्रदेश में पिछले 10 दिन से कोरोना संक्रमण के 94 हजार से अधिक मामले कम हुए हैें। लोगों की स्वतः स्फूर्ति कोशिशें भी रंग ला रही हैं। एक तरफ जहां आंशिक लाकडाउन का असर हुआ है, वहीं व्यापारियों के सेल्फ लाकडाउन ने भी निर्णायक भूमिका अदा की है। मुख्यमंत्री भी अब स्वयं मैदान में उतर पड़े हैं। हर छोटे बड़े जिलों में जाकर कोरोना के नियंत्रण व मरीजों को दी जा रही सुविधाओं की जांच कर रहे हैं व अधिकारियों व चिकित्सकों की टीमों को लगातार दिशा निर्देश जारी कर रहे हैं। प्रदेश में नये कोविड़ अस्पतालों का निर्माण तेज गति से हो रहा है बेड बढ़ाने के साथ अन्य सुविधाएं भी बढ़ी हैं। आक्सीजन की सप्लाई लगातार हो रही है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है तथा इससे देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं रहा। लेकिन कई गैरबीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री इस आपदा के काल में जहां अपनी राजनीति को चमकाने के लिए बेहतरीन अवसर मान रहे हैं, वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की तरह दिन भर पे्रसवार्ता नहीं करते हैं और न ही ट्विट करते हैं, केवल अपने काम को ही अंजाम दे रहे हैं। यही कारण है कि आज प्रदेश में कोरोना की भयावह स्थिति पर कुछ सीमा तक नियंत्रण पाया जा सका है, हालांकि अभी प्रदेश के गांवों में कोरोना की दूसरी लहर पहंुच चुकी है, जिसे रोकने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री अब जिलों व गांवों का दौरा करने के लिए निकल चुके हैं।

प्रदेश मेें ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोरोना की महामारी के दौरान चाहे संासद हो या विधायक या फिर हाईकोर्ट के जज हों या किसी भी विभाग में कार्यरत अधिकारी सभी को समान रूप से सभी अस्पतालों मेें इलाज दिया जा रहा है। प्रदेश में कोरोना काल में वीवीआईपी कल्चर को आघात लगा है। यही कारण है कि योगी व मोदी विरोधी ताकतें सुनियोजित तरीके से प्रदेश सरकार की छवि को खराब करने के लिए अपने लिए राजनैतिक अवसर की भी तलाश कर रही हैं। प्रदेश सरकार व प्रशासनिक तंत्र भ्रष्टाचार, लापरवाही व कालाबाजारी करने वाले काले गिद्धों के खिलाफ भी कडे कदम लगातार उठा रही है।
योगी सरकार ने कोरोन को लेकर केंद्रीय नीति आयोग की आशंका भी निराधार साबित कर दी है। आयोग ने 30 अप्रैल के बाद प्रदेश में एक दिन में रोज एक लाख केस आने की आशंका जताई थी। फिलहाल प्रदेश में एक दिन में कोरोना के 38 हजार मामले ही मिले हैं और अब यह घटकर 20 हजार तक आ गये हैं। पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में लगातार कमी आ रही है। कोरोना को मात देकर स्वस्थ होने वालों का आंकड़ा लगातार बढ ़रहा है। इसका श्रेय सरकार के कोरोना प्रबंधन, युद्धस्तर पर संक्रमण की जांच के कारण ही आंकड़ों में कमी आ रही है। कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग के मामले में नीति आयोग ने भी प्रदेश सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की है। कोविड अस्पतालों में आक्सीजन की कमी को पूरा करने या फिर अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर बढ़ाने की सरकार की पहल की भी प्रशंसा हो रही है। प्रदेश में टेªन के माध्यम से लगाातार आॅक्सीजन की सप्लाई हो रही है। कोरोना की तीसरी लहर आने के पहले प्रदेश के सभी अस्पतालों में सभी प्रकार की आवश्कताओं व संसाधनों को बढ़ाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है।
एक ओर जहां देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री लगातार आॅक्सीजन की कमी का रोना रो रहे हैं और दिन भर प्रधानमंत्री व केंद्र सरकार से मांग ही करते रहते है वहीं प्रदेश में आक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता दिखलायी पडने लग गयी है। यूपी में आॅक्सीजन की सप्लाई बढ़ी है।
प्रदेश सरकार अब कोरोना से मौत होने पर निःशुल्क अंतिम संस्कार भी करवायेगी। मुख्यमंत्री कई जिलों का दौरा कर चुके है। और ग्रामीणों के बीच जाकर उनका हालचाल भी जाना और कोरोना के रोकथाम के लिए जनमानस को प्रेरित भी किया। गांवों में कोरोना की चेन तोड़ने की मुहिम में 60 हजार निगरानी समितियां भी जुट गयी हैं। समितियों के 4 लाख सदस्य गांवों में घर-घर दस्तक देकर न सिर्फ लोंगो को जागरूक कर रहे हैं, बल्कि कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को टेस्टिंग का मुफ्ट मेडिकल किट भी उपलब्ध करा रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में निगरानी समितियों की तैनाती करने वाला यूपी देश का पहला राज्य है। यह निगरानी समितियां व उनके सदस्य घर पर संक्रमित लोगों की पहचान कर उनको दवाई देने व आइसोलेट करने का काम कर रहे हंै। गांवों में विशेष सफाई अभियान भी लगातार चलाया जा रहा है।
जब प्रदेश में कोरोना की पहली लहर का आगमन हुआ था, तब प्रदेश के पास संसाधन न के बराबर थे। लेकिन अब प्रदेश के हर डाक्टर के पास पीपीई किट है सभी के पास मास्क उपलब्ध है तथा सेनेटाइजर भी उपलब्ध है। प्रदेश के जनमानस का एक बहुत बड़ा वर्ग योग व आयुर्वेद के माध्यम से भी कोरोना के खिलाफ सफलतापूर्वक जंग लड़ रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश बेड, वेंटिलेटर व आक्सीजन के मामले में भी आत्मनिर्भर हो जायेगा और यही नहीें आगे आने वाले समय में हम दूसरे राज्यों को भी आॅक्सीजन की सप्लाई करने में सक्षम होंगे।
प्रदेश सरकार कोरोना की तीसरी लहर को थामने के लिए भी काम कर रही है। सरकार विशेषज्ञों के आंकलन को गंभीरता से लेते हुए बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर चिंतन और प्रबंधन भी शुरू हो चुका है।
— मृत्युंजय दीक्षित