कविता

जीवन पथ

बहुत कठिन तो नहीं
मगर आसान भी नहीं है
जीवनपथ पर आगे बढ़ते रहना।
अनेकों बाधाएं आती रहती हैं
तमाम दूश्वारियां भी साथ साथ चलती हैं
परंतु यही तो जीवन है,
डर कर रुक नहीं सकते
भाग कर छिप नहीं सकते
सुरक्षा कवच बना नहीं सकते।
बस ! बुलंद हौसलों के साथ
हर चुनौती स्वीकार करते
चुनौतियों को चुनौती देते,
हरहाल में आगे बढ़ते रहना ही
जीवन पथ प्रशस्त करेगा,
इसी आशा और विश्वास के साथ
लड़ना, जूझना, संघर्ष करना, हारना
हारकर फिर संघर्ष करना
जीतना जीवन भर का द्वंद है,
इन सबसे जूझते हुए ही जीना
यही तो हमारा जीवन पथ है।
थकना, गिरना, उठना, जलना झुलसना
आशा, निराशा के भंवर में फँसना
फंसकर फिर निकलना,
कल के लिए गुणा गणित करते रहना,
जीवन पथ पर चलते हुए
आग में तपकर दमकते स्वर्ण सा
बस ! दमकते रहना ही तो
जीवन का पथ पर आगे बढ़ना,
नीति और नियत के सम्मिश्रण से
जीवनयात्रा को
मंजिल तक ले जाना,
जलते ,तपते और तपकर
दमकते स्वर्ण सरीखा जीवन ही तो
हमारा वास्तविक जीवन पथ है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921