बाल कविता

रिमझिम बरखा

मौसम कितना सुहावना है
सावन जैसा ही लगता है
रिमझिम -रिमझिम पानी बरसे
छायी बदरिया है घनघोर।।

आओ सोनू आओ मोनू
बरखा का आनंद उठाये
मास्क पहन कर घर से आना
दो गज की दूरी बनाना।

सरिता ललिता तुम भी आओ
हम सब मिल कर नाचे गाये
पानी में भीग भीगकर
बरखा का आनंद उठाये।

देख शरारत हम बच्चों की
सभी आनंदित हो जाते है
खेल कूदने से ही जीवन में
बच्चों को उर्जा मिलती है।

बचपन में जो करे शरारत
उसकी बुद्धि प्रखर हो खिलती
जो भी बच्चा करे शरारत
उससे उसको उर्जा मिलती।

— कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171

One thought on “रिमझिम बरखा

  • चंचल जैन

    बहुत सुंदर।सादर धन्यवाद

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