हास्य कविता
राजनेताओं की मौज चल पड़ी है,
बात छोटी हो या फिर बहुत बड़ी है।
ट्विटर ने सब आसान कर दिया है,
ट्विटस की यूं बेधड़क लगी झड़ी है।
बेसिर पैर जो मन आए लिख दो जी,
फिर रिट्वीट पे आती शामत कड़ी है।
जनता को उलझाएं नेता टविटर पे,
जैसे चिन्ता इन्हें जनता की बड़ी है।
एसी रूम में बैठ कर शान से फिर ये,
आलोचनाएं करें सरकार की तगड़ी है।
ट्विटर को भी आराम करने दो कभी,
ट्विटस को लिखने की होड़ छिड़ी है।
जब पता चलता है वीडियो झूठा था,
झट से गायब हो जैसे जादू की छड़ी है।
— कामनी गुप्ता