सामाजिक

आध्यात्मिक विश्वास, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, कोविड उपयुक्त व्यवहार

भारत आदिकाल से ही एक धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा है। भारत में सर्वधर्म सद्भावना भाव का सम्मान विश्व प्रसिद्ध है। मनुष्य कितनी भी बड़ी विपत्ति से घिरता है तो दवा के साथ-साथ ईश्वर, अल्लाह की और भी निगाहें होती हैं। भगवान बस कृपा कर इस समस्या से उबार दे। या हे अल्लाह अब रहमकर इस त्रासदी से निस्तारण दिला दे। यह है एक सच्चे भारतीय के भाव!!! आज हम कोरोना काल में बुरी तरह से फंसे हुए हैं। विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा है। हालांकि हम इलाज के लिए ध्यान भ्रांतियों, टोटकों जादूटोना में नहीं पड़ना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही एक आखरी इलाज है। परंतु हम भारतीय, धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं हमारा आध्यात्मिकता में विश्वास है इसलिए भगवान, अल्लाह की ओर जरूर निहारते हैं और ठीक भी है, इस विपत्ति काल में मानसिक रूप से आध्यात्मिकता पर विश्वास वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ-साथ जरूरी भी है। क्योंकि मन को एकाग्रता और एक चित कर ईश्वर, अल्लाह की ओर रखें तो हमें इस संकट की घड़ी में घबराहट, अकेलापन, विपरीत विचारों, मौत का डर, से घिरे रहते हैं जो हमें कोरोना से लड़ाई की जंग में कमजोर करने में सहायक होते हैं। अतः अगर हम आध्यात्मिकता को ग्रहित करने से  इन मानवीय त्रुटियों पर संकटमोचक पकड़ पाते हैं तो यह हमारे लिए फायदेमंद ही है। क्योंकि आध्यात्मिकता हमारा हौसला भी बढ़ाता है क्योंकि दवाई के साथ-साथ हौसला अफजाई भी जरूरी है। अतः आध्यात्मिकता से हम मुश्किल से मुश्किल घड़ी में सकारात्मकता का संदेश मिलता है। कोरोना का मुकाबला, हौसला और हिम्मत से करना है। आत्मबल की भी जरूरत है और कोरोना एप्रोप्रियेट व्यवहार की भी जरूरत है। आध्यात्मिकता से मन को संयमित करने की प्रेरणा मिलती है जो आज की विपरीत परिस्थितियों में एक अनमोल अस्त्र है इस मन के लुभाने से ही हम बाहर घूमते हैं और कोविड -19 के दिशा निर्देशों को तोड़ते हैं। अतः मन को काबू में लाने से एक सकारात्मकता की कड़ी उत्पन्न होगी जो के संक्रमण की चेन तोड़ेगी जो माननीय हाथ में है और इस भारतीय मानवीय दिल, दिमाग, मन, को आध्यात्मिकता से आसानी से नियोजित करने में सहायता प्राप्त होने की संभावना है  एक प्रसिद्ध टीवी चैनल पर आध्यात्मिक गुरुओं तथा अन्य क्षेत्र के प्रसिद्ध चेहरों को कोविड -19 पर अपने विचारों और कोविड-19 एप्रोप्रियेट बिहेवियर पर सकारात्मक प्रेरणा दी, आध्यात्मिकता से हमें कोरोना से बचने की प्रेरणा मिलती है कि हमें डर नहीं, सावधानी, हिम्मत, विश्वास, की जरूरत है डरने से, हम लड़ाई लड़ने से पहले ही हार जाते हैं। अपनों को खोने वालों को, धैर्य, बुद्धिमती, विवेकपूर्ण रूप से स्थिति को स्वीकार करने की प्रेरणा देने का कार्य आध्यात्मिकता से ही किया जा सकता है। आध्यात्मिकता  से एक संत ने बताया कि हम तीन प्रकार के शरीर धारण करते हैं पहला फिजिकल दूसरा सूक्ष्म और तीसरा कारण शरीर और मृत्यु भौतिक शरीर की होती है और छूट जाती है सूक्ष्मता और कारण शरीर आगे वाली यात्रा में जाता है ऐसी हिंदू धर्म में मान्यता है। कालाबाजारीयों को भी आध्यात्मिकता के माध्यम से भी प्रभावित करने का एक साधन है। उनके मन में परिवर्तन का कारण यह आध्यात्मिक रास्ता करता है। अभी कुछ दिनों पूर्व शुक्रवार को मस्जिदों में भी नमाज अदायगी के बाद कोविड-19 महामारी को लेकर सकारात्मक मंत्र और प्रेरणा दी गई जो काबिले तारीफ कदम हैं। धर्मगुरुओं ने भी कोरोना से लड़ने की प्रेरणा और ईश्वर अल्लाह में विश्वास रखने की प्रेरणा दी और अपने को बचाकर, अपनों की सेवा करने की भी प्रेरणा देते हैं और आध्यात्मिकता से कोविड-19 से लड़ाई का सकारात्मक पहलू भी है जो हर भारतीय की रग रग में कूट-कूट कर भरा है। हालांकि इलाज के संबंध में वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही अपनाया जाना चाहिए। आज के डिजिटल और वैज्ञानिक युग में जरूरी भी है क्योंकि अगर हम भ्रांतियों, टोटकों और जादूटोना के चंगुल में फंसते हैं तो  फिर इन्फेक्शन बढ़ना ही है और स्वास्थ्य का गंभीर नुकसान होना है। इसलिए इलाज मैं वैज्ञानिक दृष्टिकोण को ही अपनाना नितांत आवश्यक है। और शासकीय दिशा निर्देशों का पालन करना, वैज्ञानिक वैक्सीन लगवाना वैक्सीनेशन अभियान को पूर्ण सहयोग करना, कोविड-19 को हराने का कारगर हथियार हैं और हमारे भारत देश को शीघ्र ही विपत्तियों, महामारी, लॉकडाउन, आर्थिक संकट से मुक्ति शीघ्र दिलाने में सहयोग पूर्ण कदम होगा। अतः हम उपरोक्त पूरे विवरण का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आज की परिस्थितियों को देखते हुए आध्यात्मिकता पर विश्वास, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कोविड-19  एप्रोप्रियेट बिहेवियर बहुत जरूरी है। जिसका सहयोगपूर्ण पालन से कोविड-19 महामारी से जरूर मुक्त होने की ओर मदद मिलेगी और हम इस संकट भरी स्थिति से ऊपर उठ सकेंगे और एक नए आत्मनिर्भर भारत की ओर हम तीव्रता से बढ़ेंगे।
— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया