कविता

सायली छंद-माचिस

माचिस
चूल्हा जलाए
घर भी जलाए
करें कैसे
उपयोग
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खुद
जल जाऊँगी
तुम्हारे काम आऊँगी
यही स्वभाव
मेरा
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तीली
मात्र एक
परिदृश्य बदल देती
सावधान रहिए
विचारिये।
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माचिस
न रहे
चूल्हा नहीं जलेगा
नहीं पकेगा
भोजन
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औकात
मत देखो
आप सब मेरा
सोच लीजिए
पछताओगे।
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सिर्फ़
एक तीली
औकात बता देती
हर कोई
नतमस्तक
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माचिस
सिखाती हमें
एकता का महत्व
बँटकर हुए
अस्तित्वहीन
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मुझे
भड़काओ मत,
अस्तित्व विहीन होगे
मेरे साथ
तुम
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*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921