राजनीति

उग्रवादी संगठन PFI पर कसा शिकंजा

इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ आयकर विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। आयकर विभाग ने संगठन के बैंक खातों में विदेशों से मिल रही फंडिंग पर रोक लगा दी है। इसके अलावा संगठन को इनकम टैक्स के नियमों से मिल रही छूट को भी खत्म कर दिया गया है। बता दें कि आयकर विभाग को सूचना मिली थी पीएफआई को विदेशों से फंडिंग की जा रही है, साथ ही यह भी आरोप लगाया गया था कि संगठन के खातों में अवैध तरीके से धन जमा किया जा रहा है। जिसका उपयोग समाजिक समरसता को बिगाड़ने में किया जा रहा है। ED ने PFI के करीब 20 ठिकानों पर एक साथ दबिश देकर जांच शुरू की है, इससे इस संगठन के और भी अधिक संदिग्ध साक्ष्य मिलने की आशंका है।

इन आरोपों पर कार्रवाई करते हुए आयकर विभाग ने पीएफआई का 80जी का पंजीकरण रद्द कर दिया है। विभाग ने कहा कि संगठन ने समाज के एक विशेष वर्ग को फायदा पहुंचाने के लिए आईटी नियमों का उल्लंघन किया। विभाग ने हाल में पीएफआई को आयकर कानून, 1961 की धारा 12AA (3) के तहत दिए गए पंजीकरण को रद्द कर दिया था। पीएफआई को यह पंजीकरण अगस्त, 2012 में मिला था।
पीएफआई को अब आयकर देना होगा। साथ ही पीएफआई के दानदाताओं को भी किसी तरह की कर छूट नहीं मिलेगी। बता दें कि पीएफआई एक इस्लामिक संगठन है। यह संगठन खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताता है, ऐसा करके यह विदेशों से फंड एकत्रित करता है, जिसका उपयोग विभिन्न असामाजिक गतिविधियों में होता है, दक्षिण में कई बार हिन्दू विरोधी हिंसा में PFI का नाम आ चुका। विगत वर्ष हुई दिल्ली हिंसा में जब PFI की सक्रियता पाई गई थी तब दिल्ली पुलिस के कान खड़े हो गए थे। लगभग इसी के बाद खुफिया विभाग इस संगठन की गतिविधियों पर नजर रखने लगा, और पिछले रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे। यह कट्टर इस्लामिक संगठन अपने कैंप आयोजित करता है, जिसमें कट्टर बनाने के साथ ही मुस्लिम युवकों को हथियार, बारूद व बम बनाने की ट्रेनिंग देने का संदेह है। इस संगठन की स्थापना साल 2006 में हुई थी। लगभग तभी से इसने अपनी गतिविधि हिन्दू धर्म के विरुद्ध करते आया। केरल सहित कई राज्यो में हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं को जान से मारने में भी PFI के लोगों के नाम अपराध पंजीबद्ध हुए।

इतना ही नही उत्तरप्रदेश में भी PFI की सक्रियता के संकेत मिले है, हाथरस कांड के बाद एक बार फिर से पीएफआइ का नाम सामने आ रहा है। कहा जा रहा है कि पीएफआइ ऐसे मौके पर मोटी रकम खर्च करके माहौल खराब करने की तैयारी में था मगर एजेंसियों की सतर्कता की वजह से वो कामयाब नहीं हो पाए।

पीएफआई का विवादों से पुराना नाता हैं। इसे स्‍टूडेंट्स इस्‍लामिक मूवमेट ऑफ इंडिया यानी सिमी की बी विंग कहा जाता है। साल 1977 में संगठित की गई सिमी को 2006 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद माना जाता है कि मुसलमानों का अधिकार दिलाने के नाम पर इस संगठन का निर्माण किया गया। जबकि अधिकार दिलाने के लिए कभी इस संगठन का उपयोग नही हुआ, सांप्रदायिक माहौल भड़काने, हिंसा करने, हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं को मारने में PFI के लोगों की संदिग्ध भूमिका रही है। सिमी से जुड़े जितने पुराने लोग थे, वे सब इस संगठन से जुड़ गए।

ऐसा इसलिए माना जाता है कि पीएफआई की कार्यप्रणाली सिमी जैसी ही है। साल 2012 में भी इस संगठन को बैन करने की मांग उठ चुकी है। उसके बाद इस साल यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने भी संगठन को बैन करने की मांग की थी। इसके लिए गृह मंत्रालय को पत्र भी लिखा गया है मगर अब तक परमीशन नहीं मिली है। इस संगठन के कार्यकर्ताओं का नाम लव जिहाद से लेकर दंगा भड़काने, शांति को प्रभावित करने तक के मामले में काफी पहले भी आ चुका है। माना जाता है कि संगठन एक आतंकवादी संगठन है जिसके तार कई अलग-अलग संगठनों से जुड़े हैं, महिलाओं, बच्चों, युवाओं, सभी के लिए अलग अलग विंग बनाकर PFI अपनी गतिविधयां चलाता है।

केंद्रीय एजेंसियों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से साझा किए गए एक खुफिया इनपुट और गृह मंत्रालय के मुताबिक, यूपी में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के दौरान शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़ और सीतापुर क्षेत्रों में पीएफआई सक्रिय रहा है। दंगे भड़काने में भी इनकी भूमिका रही है। माहौल को खराब करने के लिए संगठन हर तरह की मदद करने में आगे रहता है। दिल्ली शाहीन बाग में PFI का मुख्य कार्यालय है, आप समझ सकते है कि CAA विरोध की आग शाहीन बाग में सबसे पहले क्यों जली ? क्यों मुस्लिम महिलाओं व बच्चों को आगे रखकर असामाजिक तत्व अपना उद्देश्य आगे बढ़ाते रहे। फिर दिल्ली दंगा भी उसी समय किया गया जबकि अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति भारत दौरे पर थे, ताकि उनके विरोध को अंतरराष्ट्रीय कवरेज मिले और भारत का नाम खराब हो।

अब जबकि यह साफ हो चुका है कि PFI अपने ट्रेनिंग कैंप में अनैतिक गतिविधियां सिखाता, हिंसा भड़काने के षड्यंत्र करने, असामाजिक गतिविधियां संचालित करने, भ्रामक साहित्य छापने, मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में लगा हुआ है, जितना जल्दी हो सके, इस संगठन पर बैन लगाकर, इससे जुड़े सभी लोगों की जांच, उन पर सतत निगरानी व उन्हें संदिग्ध श्रेणी के अनुसार देशके लिए खतरा मानकर दंडात्मक कार्यवाही आवश्यक है।

एक बार केरल सरकार ने इस संगठन का बचाव करते हुए केरल हाईकोर्ट को दलील दी थी कि यह सिमी से अलग हुए सदस्‍यों का संगठन है, जो यह सिद्ध करता है कि हमारे आरोप गलत नही है। साथ ही केरल सरकार ने बताया था कि यह कुछ मुद्दों पर सरकार का विरोध करता है। परन्तु सरकार के दावों को कोर्ट ने खारिज करते हुए प्रतिबंध को बरकरार रखा था। इतना ही नहीं पूर्व में इस संगठन के पास से केरल पुलिस द्वारा हथियार, बम, सीडी और कई ऐसे दस्‍तावेज बरामद किए गए थे जिसमें यह संगठन अलकायदा और तालिबान का समर्थन करती नजर आयी थी। आप सोच सकते है आखिर क्यों इस जिहादी संगठन पर अब तक कार्यवाही क्यों नही हुई ? क्योंकि इस कट्टरपंथी संगठन को राजनीति का प्रश्रय हासिल था, अनेक मौकों पर इसके अपराधों को राजनेताओं द्वारा ढक दिया जाता रहा। वह तो केरल पुलिस के ईमानदार देशभक्त अधिकारियों के दमदारी से कार्यवाही करने के कारण इसके कई आपराधिक प्रकरण साबित हो सके।

बेंगलुरु में विधायक का घर जलाने व हिंसा करने में भी PFI व SDPI का नाम उजागर हुआ था, इस हिंसा में 3 लोग मारे गए, 70 पुलिसकर्मी व लोग घायल हुए थे। करीब 300 लोगों को गिरफ्तार किया गया। यह तो एक उदाहरण है, केरल, कर्नाटक, मुम्बई, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में हिंसा, दंगे व असमाजिक गतिविधियों में कई बार PFI का नाम एक आतंकी संगठन के रूप में आ चुका है।

भारत के कई राज्यों में संघ, विहिप,एबीवीपी सहित अनेक हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता जिन्हें इसी आतंकी मानसिकता के द्वारा जान से मार दिया गया। उन्हें न्याय मिले, इसलिए भी यह नितांत आवश्यक है, कि समाज में हिंसा के षड्यंत्र करने वाले ऐसे सभी कट्टरपंथी उग्रवादी संगठनों को बैन करके कठोर कार्यवाही करनी चाहिए।

— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश