कविता

पत्नी

पत्नी से घर आंगन महकता है,
पत्नी की चूड़ियों की झंकार अच्छी लगती है ,
पत्नी मां बहन बेटी का धर्म निभाती है ,
पत्नी पूरे घर को संभालती है ,
पत्नी के आँचल में छुपना चाहता हूँ,
पत्नी को सम्मान देना चाहता हूं,
पत्नी ना हो तो घर सूना है,
पत्नी पूरे घर की शान है,
पत्नी अपना घर छोड़कर आती है,
पत्नी हमारे घर को अपना बनाती है,
पत्नी लक्ष्मी का भंडार है,
पत्नी अन्नपूर्णा माता है,
पत्नी पत्नी मेरे जिगर का टुकड़ा है,
पत्नी के बिना मैं अधूरा हूं।।

— गरिमा, लखनऊ

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384