कविता

मंझधार में नैया

जिंदगी के मंझदार में जब
किसी की नैया डगमगाती है
तब कुछ याद नहीं आता
सिर्फ भगवान की याद आती है
कभी ऐसा भी समय आता है
जब इंसान लड़खड़ाता है
बहुत कोशिश करता है संभलने की
मगर संभल नहीं पाता है
तब दूर कहीं इक लौ नज़र आती है
इक धुंदली सी तस्वीर बन जाती है
हिम्मत करो डर कर कुछ हासिल नहीं होगा
मन से यह आवाज आती है
अचानक होता है चमत्कार
भंवर में फंसी किश्ती आ जाती है बाहर
यह कैसे हुआ मन होता है हैरान
मांझी बन कर आया था परवरदिगार
रवींद्र कुमार शर्मा
घुमारवीं
जिला बिलासपुर हि प्र

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र