लघुकथा

लघुकथा- मेरे पापा

ममी पापा की छोटी आयु में आज़ादी मिलने बाद शादी हुई। दोनों को सबका बहुत प्यार मिला। ममी को जेठानी का बहुत प्यार मिला, क्योंकि उसके बच्चा न होने कारण बहुत अबहेलना थी| आखिर पापा पर बच्चा के लिए विवाह जरूरी बताया और बताते जब मुझे जन्म लेना था तो पापा कालिज़ में पढ़ते थे और डाकखाने में पार्ट टाईम काम करते थे। आखिर कालिज़ बाद जब पता चला माँ हस्पताल है, वहां पहुंचे और पहिला कुछ अजीब महसूस होना भागती धड़कनें, तेज़ सांसें। बेचैनी, इतनी घबराहट कभी-भी महसूस नहीं की थी। बार-बार ऐसा लगता कि मानो आंखों से खारा पानी फूट पड़ेगा। हाथ प्रार्थना में जुड़ जाते। फिर कभी आंखें मूंद के ख़ुद को शांत करने की कोशिश करता। प्रभु ! सब कुशल हो! तभी नर्स मिली नर्स के शब्द शायद सुनाई ही नहीं पड़े। अचानक धड़कनें, सांसें सब क़ाबू में आने लगीं। बेचैनी, घबराहट सब आंखों से फूटकर सुकून की धारा बन गईं। आज आंखों का ये खारा पानी मीठा-सा लग रहा था। आज एक बच्ची के पिता का जन्म हुआ और पापा बन गए । उनका प्यार मेरे लिए सबसे अधिक था और बड़े बड़े सपने थे । वो अपने जमाने से कदम से कदम मिलाकर चलते थे पर जीवन का अकेलापन और असहाय सोच या प्रतिकूल परिस्थति के सामने हर कोई हार जाता| अकेले ही बिना खबर और दुःख दिए हमेशा के लिए चल दिए पर उनकी याद और आदर्श हमेशा किसी न किसी मौके उनका रूप दिखा जाते| मौलिक और अप्रकाशित.

रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]